नई दिल्ली। पिछले दिनों राष्ट्रीय राजधानी के कनॉट प्लेस में बेहद
दुखद परिस्थिति में एक निराश्रित गर्भवती महिला के प्रसव तथा उसकी मौत का
मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में उठाया गया। विभिन्न दलों के सदस्यों ने
महिलाओं के प्रति समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता पर गहरी चिंता जताई और सरकार
से मांग की कि ऐसे उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए जिससे भविष्य में इस
प्रकार की घटना दोहराई न जा सके।
कांग्रेस के अश्विनी कुमार ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि
हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है और हम मानवाधिकारों को लेकर गर्व महसूस
करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मूल मंत्र गरीबों के मानवाधिकारोंकी रक्षा
करना है। लेकिन हाल ही में राजधानी दिल्ली के व्यस्ततम इलाके कनॉट प्लेस
में हुई एक घटना हमारे सामने कई सवाल खड़ी करती है। उन्होंने कहा कि कनाट
प्लेस में एक निर्धन गर्भवती महिला कुछ दिन तक पड़ी रही। इस महिला ने एक
बच्चे को जन्म दिया और चार दिन बाद महिला की मौत हो गई। उसके शव तथा नवजात
शिशु के आसपास कुत्ते घूम रहे थे। लोग वहां से गुजरते रहे लेकिन न किसी ने
उस महिला या उसके बच्चे की मदद के लिए कोई कदम उठाया और न ही किसी ने पुलिस
को सूचना दी। जिस स्थान पर महिला थी, वहां से करीब 100 गज की दूरी पर
पुलिस थाना और अग्निशमन कार्यालय है। उनका भी ध्यान नहीं गया। उन्होंने इस
घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि सुप्रीमकोर्ट भी कहता रहा है कि हमारे
मौलिक अधिकारों में सम्मान सहित जीने का अधिकार भी शामिल है लेकिन फिर भी
इसका पालन नहीं किया जा रहा है।