नयी दिल्लीः
सर्वोच्च न्यायालय ने आज सीबीआइ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए
भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित सभी आरोपियो के खिलाफ फिर से नोटिस जारी
किया है. मुख्य न्यायधीश एस एच कपाडिया, न्यायधीश अल्तमश कबीर तथा आरवी
रविन्द्रन ने आरोपियों की तरफ से प्रतिक्रिया जानने के लिए सीबीआइ की जांच
एजेंसी द्वारा 14 साल पुराने जजमेंट की समीक्षा करने के अपील याचिका पर ये
निर्णय दिया.
सीबीआई ने 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका दायर कर दोषियों के खिलाफ धारा 304 लगाने की मांग की थी. इस धारा के तहत दोष सिद्ध होने पर 10 साल तक की सजा होती है.
सुनवाई के बाद कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन भारतीय चेयरमैन केशव महिंद्रा, प्रबंध निदेशक विजय गोखले, उपाध्यक्ष किशोर कामदार, कार्य प्रबंधक जेएन मुकुंद, उत्पादन प्रबंधक एसपी चौधरी और प्लांट प्रबंधक एसआई कुरैशी को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ धारा 304 क्यों न लगाई जाए. गौरतलब है कि सातों आरोपियों को 7 जून को भोपाल की एक अदालत ने त्रासदी के लिए दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. लेकिन सातों ही आरोपियों को कोर्ट से तुरंत जमानत भी मिल गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नोटिस में आरोपियों से इस बात का जवाब मांगा है कि उन पर आईपीसी की धारा 304 (II) क्यों न लगाई जाए. इस धारा के तहत आरोपियों को कम से कम दस साल कैद की सजा होगी. अभी उन्हें सिर्फ दो साल कैद की सजा हुई है. इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 1996 को दिए गए अपने ही आदेश के खिलाफ दायर की गई सीबीआई की संशोधित याचिका पर आज यह अहम कदम उठाया है.
ज्ञात हो कि 23 सितंबर 1996 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ए एम अहमदी और न्यायमूर्ति एस सी सेन ने यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एंडरसन
और कंपनी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ लगे गैर इरादतन हत्या के मामले को
लापरवाही से हुई दुर्घटना में परिवर्तित कर दिया था. सीबीआई ने सुप्रीम
कोर्ट के उसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका दायर की थी.
उल्लेखनीय है कि 3 दिसंबर, 1984 को यूनियन कार्बाइड के भोपाल प्लांट से जहरीली गैस के रिसाव होने से अब तक 25हजार से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और लाखों प्रभावित हुए हैं.
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