नई दिल्ली। जाति आधारित जनगणना की अनेक राजनीतिक दलों की मांग के बीच
सरकार ने मंगलवार को कहा कि जनगणना में जाति की जानकारी को शामिल करने का
फैसला किया गया है। इस संबंध में कैबिनेट की अगली बैठक में औपचारिकता पूर्ण
होने की संभावना है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सभी
राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना का समर्थन किया है और इस मुद्दे पर अब
किसी तरह की शंका की जरूरत नहीं है। लोकसभा में भाजपा, जदयू , सपा और बसपा
के नेताओं ने आज यह मुद्दा उठाते हुए जानना चाहा कि जनगणना में जाति
आधारित जानकारी शामिल करने के सरकार के वादे का क्या हुआ। संसद के मानसून
सत्र का अंतिम दिन होने का हवाला देते हुए सपा के मुलायम सिंह यादव, जदयू
के शरद यादव, भाजपा के गोपीनाथ मुंडे और बसपा के दारासिंह चौहान ने यह बात
उठाई।
इस पर सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस मुद्दे का अध्ययन करने
वाले मंत्री समूह ने फैसला किया है कि घर-घर जाकर की जा रही जनगणना में
जाति आधारित गणना को शामिल किया जाए।
मुखर्जी ने कहा कि यह जाति संबंधी जानकारी एकत्रित करने तक ही सीमित
होगा और बायोमेट्रिक प्रणाली साथ-साथ चलेगी। मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने
करीब करीब इसे शामिल करने का फैसला कर लिया है। उन्होंने कहा कि मंत्रीसमूह
अधिकारप्राप्त समूह नहीं है इसलिए कैबिनेट द्वारा इस फैसले को मंजूरी
जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी
मिलने की संभावना है।
मुखर्जी ने कहा कि अब यह केवल औपचारिकता का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि
जाति आधारित जनगणना के लिए उन्होंने राजनीतिक दलों से लिखित में सुझाव
मांगे थे और सभी ने सकारात्मकप्रतिक्रिया दी। इससे पहले जदयू अध्यक्ष शरद
यादव ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने राजनीतिक दलों के सुझाव मांगे
थे जिन्होंने लिखित में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि लेकिन मुखर्जी के
आश्वासन के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, भाजपा के गोपीनाथ मुंडे और बसपा के दारा
सिंह चौहान ने शरद यादव की बात का समर्थन किया। मुलायम सिंह ने कहा कि कोई
भी दल ऐसा नहीं है जिसने जाति आधारित जनगणना का समर्थन नहीं किया हो।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और प्रणव मुखर्जी ने इसे जल्द से
जल्द लागू करने का वादा किया था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।