नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिगृहीत जमीन
के वास्ते अधिक मुआवजे की मांग को लेकर गुरुवार को हजारों किसान संसद का
घेराव करने करने के लिए दिल्ली में जमा हुए।
राष्ट्रीय लोकदल [रालोद] के नेता अजीत सिंह, जयंत चौधरी और अन्य किसान
नेताओं का उनको संबोधित करने का कार्यक्रम है। राजधानी के कई इलाकों में
यातायात की समस्या पैदा होने की आशंका है क्योंकि हजारों अन्य किसानों के
नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और लोनी से दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने की
खबरे है।
यातायात पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार राजघाट, बारहखम्भा रोड, जनपथ,
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, दरियागंज, नेहरू मार्ग और टॉलस्टाय मार्ग पर
यातायात जाम रहने की आशंका है। अलीगढ़ जिले के किसानों का आंदोलन अब एक
राजनीतिक मुद्दा बन गया है। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी
[बसपा] पुराने भूमि अधिग्रण कानून के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा
रही है।
कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और अन्य दल बसपा पर
किसानों को गुमराह करने का आरोप लगा रहे है। किसानों की मांग का समर्थन
करते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसानों को केंद्र
सरकार के खिलाफ रैली करने के बजाय लखनऊ में मायावती सरकार को घेरना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के किसान यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिक मुआवजे की मांग
को लेकर उत्तेजित हैं। इस मार्ग के बनने के बाद दिल्ली और आगरा के बीच के
सफर का समय करीब 90 मिनट कम होने का अनुमान है। एक्सप्रेस वे गौतम बुद्ध
नगर [नोएडा], अलीगढ़, महामाया नगर [हाथरस] और मथुरा जिलों से होकर गुजरेगा
और इसके लिए 115 गांवों की कुल 2,500 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत हुई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजे की दर 449 रुपये प्रति वर्गमीटर से
बढ़ाकर 570 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दी है। परंतु किसानों से इस प्रस्ताव
को अस्वीकार करते हुए ग्रेटर नोएडा में दिए गए 880 रुपये प्रति वर्गमीटर के
बराबर मुआवजा देने की मांग की है।