दिल्ली में 95 फीसदी भिखारी अन्य राज्यों के

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। भिखारियों की समस्या से निपटने के लिए
केंद्रीय कानून बनाए जाने की जरूरत है ताकि सभी जगह समान कानून हो और
भिखारी एक राज्य में सख्ती होने से दूसरे राज्य न भाग सकें। यह बात दिल्ली
सरकार ने भिखारियों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए अपने ताजा
हलफनामे में कही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने कहा है कि दिल्ली में 95
फीसदी भिखारी बाहर के हैं हालांकि राज्य सरकार का यह आंकड़ा चार साल पुराना
है।

यह हलफनामा दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग ने दाखिल किया है।
हलफनामे में सरकार ने समस्या से निपटने के लिए किए गए उपाय और भिक्षुक गृह
[बेगर होम] में उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का ब्योरा दिया है। सरकार का
कहना है कि समस्या से निपटने के लिए प्रयास किए गए हैं। दिल्ली में बॉम्बे
प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट 1960 से लागू है। राजधानी में भिखारियों की
संख्या का पता लगाने और समस्या से निजात के लिए सरकार के अनुरोध पर दिल्ली
विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग ने वर्ष 2006 में भिखारियों पर एक
अध्ययन किया। अध्ययन के मुताबिक दिल्ली में करीब 59 हजार भिखारी हैं। इस
सर्वे में पांच हजार भिखारी शामिल किए गए। इनमें 1477 बच्चे थे और बाकी
3523 में से करीब 95 फीसदी भिखारी दिल्ली से बाहर के थे। इनमें भी करीब 45
फीसदी उत्तर प्रदेश और बिहार के थे।

चार साल पुराने इन आंकड़ों के अलावा ताजा हाल बताते हुए हलफनामे में कहा
गया है कि इस समय राजधानी के 11 भिक्षुक गृहों में रह रहे 1159 भिखारियों
में सिर्फ 75 दिल्ली के हैं बाकी सब बाहर के हैं।

भिखारियों की समस्या से निपटने के राष्ट्रीय प्रयासों का जिक्र करते
हुए कहा गया है कि केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय ने गत 7 जुलाई को सभी
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ इस मुद्दे पर राष्ट्रीय परामर्श
किया। इसमें 20 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने हिस्सा लिया था। इस
विचार-विमर्श में यही पाया गया कि भिखारियों की समस्या से निपटने के लिए
केंद्रीय कानून होना चाहिए। दिल्ली सरकार ने कहा है कि कुछ ही राज्यों ने
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कानून बनाए हैं। यही नहीं, विभिन्न राज्यों में
भिक्षावृत्ति की परिभाषाएं भी अलग-अलग हैं। इसके अलावा देखा गया है कि जब
कोई राज्य कड़ाई से कानून लागू करता है तो भिखारी पड़ोसी राज्य में भाग जाते
हैं इसलिए भिखारियों की समस्या से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाए
जाने की जरूरत है ताकि सभी जगह समान कानून लागू हो। किए गए उपायों का
ब्योरा देते हुए कहा गया है कि जीरो टॉलरेंस जोन चिन्हित किए गए हैं और
इसके अलावा राज्य सरकार ने 13 भिक्षावृत्ति निरोधी टीमें भी गठित की हैं।

ये हैं जीरो टॉलरेंस जोन

कनाट प्लेस : इनर और आउटर सर्किल

इंडिया गेट : गोल चक्कर

तिराहे-चौराहे : पुराना किला रोड, भैरों रोड, डब्ल्यू प्वाइंट तिलक
मार्ग, भगवान दास रोड, राजघाट/शांति वन, एनडीएसई पार्ट वन वपार्ट टू, जीके
पार्ट वन व पार्ट टू

अंतरराज्यीय बस अड्डे : कश्मीरी गेट, आनंद विहार, सराय काले खां

रेलवे स्टेशन : नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हजरत निजामुददीन और सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन।

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