रोज कूड़े में जाता है 82 करोड़ रुपए का अनाज

नई दिल्‍ली. भारत में एक ओर रोज करोड़ों लोगों को भूखे सोना
पड़ता है, जबकि दूसरी ओर हर दिन 82 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा मूल्‍य का
अन्‍न बर्बाद हो जाता है। वह भी केवल इसलिए क्‍योंकि सरकार के पास यह अन्‍न
रखने और एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने की पर्याप्‍त सुविधा नहीं है।


केंद्रीय
खाद्य एवं प्रसंस्‍करण मंत्री सुबोध कांत सहाय ने सोमवार को राज्‍य सभा
में एक सवाल के जवाब में बताया कि भारत में हर साल 30,000 करोड़ रुपए (रोज
करीब 82.19 करोड़ रुपये) का खाने का सामान बर्बाद होता है। उन्‍होंने कहा
कि सरकार यह बर्बादी रोकने के लिए कोल्ड स्टोरेज या कोल्ड रूम की सुविधा
देने जा रही है। इसके लिए विजन 2015 तैयार किया गया है।


कोल्ड
स्टोरेज या कोल्ड रूम बनाने के लिए सरकार वित्तीय सहायता दे रही हैं। इस
तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर से कृषि संबधित उत्पादों के अलावा समु्द्री
उत्पादों, दूध तथा पॉल्‍ट्री उत्‍पाद भी संरक्षित किए जा सकेंगे।


दुनिया का भी है हाल बुरा


खाना
बर्बाद करने में दुनिया के बाकी देश भी अव्‍वल हैं। एक स्टडी के मुताबिक
अमेरिका और यूरोप में जितना खाना बर्बाद हो रहा है, उतने खाने से बाकी बची
पूरी दुनिया की भूख मिटाई जा सकती है। अफ्रीका, एशिया के कई मुल्कों में
लोगों को जीने के लिए जरूरी न्यूनतम खुराक भी नहीं मिल पा रही है।


अमेरिका और ब्रिटेन में अन्न की ऐसी बर्बादी


इस
अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में 1974 के बाद से अन्न की बर्बादी 50 फीसदी
बढ़ गई है। अमेरिका में पैदा किए जाने वाले अन्न का 40 फीसदी फेंक दिया
जाता है। वहां, पीने लायक पानी का भी 25 फीसदी से ज़्यादा नालियों में
बहाया जाता है। ब्रिटेन में काग़ज़ और यार्ड से निकलने वाले कचरे के बाद
खाने–पीने की चीजें ही सबसे ज़्यादा कूड़ा पैदा कर रही हैं। साल भर में
ब्रिटेन के सभी घरों से 83 लाख टन अन्न कूड़े के रूप में फेंका जाता है।
ब्रिटेन में भी शहरी लोग आमतौर पर सबसे ज़्यादा कूड़ा पैदा करते हैं। इनमें
से भी अकेले रहने वाले पुरुष जिनकी उम्र 25 से 35 के बीच होती है, इस
मामले में आगे हैं।


करोड़ों टन अनाज जा रहा है कचरे के डिब्बों में


पूरी
दुनिया में होने वाली खाने की बर्बादी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता
है कि 1.80 करोड़ टन खाने लायक अन्न कू़ड़े के तौर पर गड्ढों को भरने के
काम आता है। वहीं, एक-तिहाई खाना अन्न उत्पादक (किसान) के पास और सप्लाई के
दौरान कूड़े में तब्दील हो जाता है। एक-तिहाई खुदरा व्यापार के दौरान और
एक-तिहाई घरों में जाकर बर्बाद हो रहा है।


अरबों का अन्न हो रहा बर्बाद


बर्बाद हो रहे इस अन्न की कीमत करीब 16 अरब 79 करोड़ रुपये बैठती है। महंगाई के लगातार बढ़ने के साथ ही यहरकम भी बढ़ रही है।

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