पंचायतों का ‘पंचलेखा पंचर’

भोपाल. प्रदेशभर की पंचायतों के काम काज को गति देने के लिए लागू की
गई कम्प्यूटरीकरण योजना फेल हो गई है। सरकार ने पंचायतों में कम्प्यूटर तो
लगा दिए लेकिन संचालनालय में सेंट्रल सर्वर नहीं लगाया। इससे कम्यूटर पर
खर्च 11 करोड़ पानी में चले गए। यही नहीं विशेष सॉफ्टवेयर पंचलेखा भी
अनुपयोगी साबित हुआ। यह खुलासा नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट
में हुआ है।

कैग ने जिला पंचायत भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और उनके अधीन 10 जनपद पंचायत
बैरसिया, फंदा, भितरवार, डबरा, घाटीगांव, मुरार, देपालपुर, इंदौर, महू और
सांवेर के अकाउंट्स की जांच में पाया कि पंचलेखा सॉफ्टवेयर पूरी तरह विफल
रहा।

कम्यूटरीकरण के लिए सरकार ने नेशनल इंफरमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के 18 करोड़
के प्रोजेक्ट को मंजूर किया था। इसमें से 12.02 करोड़ रुपए अप्रैल 2004 से
अप्रैल 2006 के बीच जारी किए गए। लेकिन दिसंबर 2008 तक 10.43 करोड़ रुपए
ही खर्च हो पाए।

गड़बड़ी

इंदौर के नरलाय पंचायत को 25 हजार रुपए जारी हुए लेकिन पंचलेखा में दर्ज हुए 37 हजार

इंदौर की सेमल्याचाउ को 50 हजार और बॉक को 25 हजार आवंटित हुए पंचलेखा में रकम दर्ज हुई निरंक
महू जपं की पंचायतों नांदेड़ को 75, मान को 62, कालीकिराय को 50 और काकरिया
को 62 हजार रुपए जारी हुए लेकिन साफ्टवेयर ने दर्ज किया निरंक ।

पंचलेखा ऐसे हुआ पंचर

वर्ष 2005-06 में 313 जनपद पंचायतों में पांच-पांच और 48 जिला पंचायतों में
दो-दो कम्प्यूटर हार्डवेयर के साथ स्थापित किए गए। संचालनालय में सेंट्रल
सर्वर के अनुपलब्ध रहने से मास्टर डायरेक्ट्री को अपडेट नहीं किया गया।
हिसाब-किताब निर्धारित प्रारूप में मेंटेन नहीं किए गए। इंदौर और ग्वालियर
जिपं में जपं से आंकड़े प्राप्त करने और उन्हें प्रबंध सूचना प्रणाली के
जरिए जुटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

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