नई दिल्ली. धरती के बढ़ते तापमान (ग्लोबल वार्मिंग)के जो भी
बुरे नतीजे होने वाले हैं, उनमें एक और बुरी चीज जुड़ गई है। वैज्ञानिकों
का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते धरती के तापमान में हो रही बढ़ोतरी
की वजह से एशियाई देशों में चावल की पैदावार लगातार घट रही है।
एशिया
चावल का प्रमुख उत्पादक देश है। यहां के लोगों का मुख्य अनाज भी चावल है।
चावल की कमी के चलते पूरे उपमहाद्वीप पर भुखमरी का खतरा मंडरा सकता है।
अध्ययन
के मुताबिक पिछले 25 साल से तापमान में हो रही बढ़ोतरी की वजह से एशिया
महाद्वीप के कई हिस्सों में चावल उत्पादन में 10 से 20 फीसदी तक की कमी
आई है। शोधकर्ताओं ने आगाह किया है कि यदि चावल की पैदावार में इस तरह की
गिरावट जारी रही तो एशिया में अब और भी लोगों को गरीबी और भुखमरी का सामना
करना पड़ सकता है।
फिलीपिंस स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान
संस्थान के मुताबिक चावल दुनिया में करीब तीन अरब लोगों का प्रमुख आहार
है। एशिया में रहने वाली दुनिया के एक अरब गरीब और कुपोषण के शिकार लोगों
में से 60 फीसदी से ज्यादा भूख शांत करने के लिए चावल पर ही निर्भर हैं।
जानकारों
के मुताबिक दिन के बढ़ते तापमान से चावल उत्पादन को फायदा होता है, जबकि
रात के बढ़ते तापमान का इस पर नकारात्मक असर पड़ता है। अब जबकि रात के
तापमान में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में चावल की पैदावार में कमी
हो रही है।
वैज्ञानिकों ने धरती के बढ़ते तापमान के खतरों के प्रति
आगाह करते हुए कहा कि धरती के औसत तापमान में दो डिग्री सेल्सियस से अधिक
की बढ़ोतरी नहीं हो, इसके लिए 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में
50 फीसदी की कटौती करनी होगी।