नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आम
आदमी को महंगाई से राहत दिलाने के लिए राज्य सरकारों को अपनी राशन प्रणाली
दुरुस्त करनी चाहिए। खाद्यान्न सुरक्षा की गारंटी के लिए प्रस्तावित कानून
भी तभी कारगर हो पाएगा। इसमें राज्यों की जिम्मेदारी अधिक है।
राज्य सभा में महंगाई पर चर्चा का जवाब देते हुए मुखर्जी ने विपक्ष के
आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्यों ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए
पूरे मन से प्रयास नहीं किए। उनके पास जमाखोरी और आवश्यक वस्तुओं की
आपूर्ति सुनिश्चित करने संबंधी कई कानून हैं। राशन प्रणाली में अधिक अनाज
देने के बाबत उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों का ही कहना है कि यह प्रणाली
दुरुस्त नहीं है। ऐसे में पहले उन्हें अपना काम करना होगा। केंद्र तो सभी
को सस्ता अनाज देने के लिए ही खाद्य सुरक्षा कानून का प्रावधान कर रहा है।
आम आदमी की पीड़ा के प्रति संवेदनहीन रवैया अपनाए जाने के आरोप को
नकारते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई से राहत के लिए सरकार ने कई उपाय
किए हैं जिनके नतीजे भी सामने आ रहे हैं। दिसंबर 09 में मुद्रास्फीति 21.6
प्रतिशत पर थी जो अब घटकर 9.53 प्रतिशत रह गई है। खाद्य वस्तुओं की मूल्य
वृद्धि में वायदा कारोबार की भूमिका पर माकपा की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण
पर मुखर्जी ने कहा कि सरकार विचार करेगी।
मौद्रिक नीति में भारतीय रिजर्व बैंक के कदमों की सराहना करते हुए
वित्त मंत्री ने आरबीआई गवर्नर की पीठ भी ठोंकी। उन्होंने कहा कि चालू साल
में प्रत्यक्ष कर से सरकार को चार लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं।