श्रावस्ती, 3 अगस्त : प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए
सर्वशिक्षा योजना के तहत अभिभावकों को जागरूक करने के लिए सरकार ने
योजानाओं की भरमार तो कर दी। यह सारी योजनाएं फाइलों तक सिमट कर रह गयी है।
पात्र योजना के लाभ के लिए छटपटा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों,
कर्मचारियों एवं शिक्षा मित्रों के चलते नि:शुल्क पुस्तक वितरण ड्रेस, मिड
डे मील आदि योजनाएं असफल दिखाई दे रही हैं। यह सारी सुविधाएं शिक्षा के
सुधार में विफल हैं।
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में निरन्तर शिक्षक और छात्रों
का अनुपात बढ़ता जा रहा है जिससे शिक्षा व्यवस्था सुधरने के बजाय बदहाल हो
रही है। वर्तमान समय में जिले की प्राथमिक शिक्षा देने वाले 827 विद्यालय
हैं। प्राथमिक 381 उच्च प्राथमिक शिक्षा के नाम पर केवल विद्यार्थियों एवं
अभिभावकों का काम चलाऊ सुविधाएं ही मिल पा रही हैं। मिड डे मील योजना का
उद्देश्य निर्धन तबके के बच्चों को स्कूल की ड्योढ़ी पर लाकर शिक्षित करना
था। योजना के साथ मुक्त शिक्षा के माध्यम से बच्चों को विद्यालयों तक लाना
था।
जिले के सत्तर प्रतिशत विद्यालय हैं जो एकल शिक्षक द्वारा चलाए जा रहे
हैं। शिक्षकों की कमी के चलते अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्राइवेट
स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्राइवेट विद्यालयों के प्रबन्ध तंत्र
अच्छी शिक्षा देने का वादा कर अभिभावकों को अपने ओर आकर्षित कर रहे हैं।
वह प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के कंधों पर सरकार के जनगणना
कार्यक्रम जैसे तमाम कार्यक्रमों का भार होता है जिससे वे पूरे वर्ष इन्हीं
कार्यक्रमों में लगे रहते हैं। जिले में प्राथमिक विद्यालयों में 827
शिक्षक 1350 एकल शिक्षक विद्यालय 381 पूर्व माध्यमिक विद्यालय 313 अध्यापक
हैं। बन्द विद्यालयों की संख्या 120 हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी बताते हैं
कि इस वर्ष बन्द पड़े विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती कर विद्यालय खोले
जा रहे हैं।