पटना कम बारिश, अनियमित बारिश और लक्ष्य से धान की काफी कम बुआई
को देखते हुए 28 जिलों को राज्य मंत्रिपरिषद ने सूखाग्रस्त घोषित कर दिया
है। तत्काल इन जिलों के सीआरएफ के नार्म्स लागू कर दिये गये हैं।
मंत्रिपरिषद का मानना है कि शेष दस जिलों की हालत भी ठीक नहीं है। मुख्य
सचिव की अध्यक्षता में गठित आपदा प्रबंधन ग्रुप को इन दस जिलों के बारे में
निर्णय करने को अधिकृत कर दिया गया है। इन्हें सूखाग्रस्त घोषित करने के
लिए मंत्रिपरिषद की मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
आपदा प्रबंधन सचिव व्यास जी ने कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि
सूखाग्रस्त घोषित 28 जिलों में सूखा से निपटने के लिए आपदा राहत निधि
-राज्य आपदा रिस्पांस कोष तथा राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि-राष्ट्रीय
आपदा रिस्पांस कोष से दिये जाने वाले सहायता प्रावधान तत्काल प्रभाव से
लागू होंगे। इन जिलों में किसानों से सहकारिता ऋण, राजस्व लगान, सेस, पटवन
शुल्क, विद्युत शुल्क जो सीधे कृषि से संबंधित हों की वसूली 2010-11 के लिए
स्थगित रहेगी। प्रभावित जिलों में फसल को बचाने के लिए वैकल्पिक कृषि
कार्य की व्यवस्था करने, रोजगार के साधन उपलब्ध कराने, पशु संसाधनों का सही
रखरखाव करने आदि के लिए जरूरत के अनुसार सहायता कार्य चलाने आदि की
व्यवस्था की जायेगी।
सूखाग्रस्त जिले : गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल, नवादा, पटना, नालंदा,
भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, बेगूसराय,
भागलपुर, बांका, सिवान, सारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली,
पूर्वी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर एवं दरभंगा को सूखाग्रस्त जिला घोषित
किया गया है। शेष्ज्ञ जिलों की लगातार निगरानी की जा रही है।
सरकार का मानना है कि कम बारिश और कम रोपनी के कारण उपज पर प्रतिकूल
प्रभाव पड़ना तय है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 1 जून से 31 जुलाई तक
राज्य में 508.5 मिलीमीटर की औसत बारिश के विरुद्ध 329.8 मिलीमीटर बारिश
हुई है जो औसत से 23 फीसदी कम है। कोसी प्रमंडल के 3, पूर्णिया प्रमंडल के 4
और गोपालगंज, खगड़िया तथा पश्चिम चंपारण को सूखाग्रस्त नहीं घोषित किया गया
है।