स्वच्छ पेय जल मनुष्य का मौलिक अधिकार: संरा

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर स्वच्छ पेय
जल और सफाई को मनुष्य के मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी है। संयुक्त
राष्ट्र महासभा में बोलीविया ने इस संबंध में प्रस्ताव रखा। 122 देशों ने
इसका अनुमोदन किया। 41 देश मतदान में शामिल नहीं हुए।

प्रस्ताव के मुताबिक, ‘सुरक्षित और स्वच्छ पेय जल और सफाई मौलिक अधिकार है जो जीवन के अधिकार का उपयोग करने के लिए अनिवार्य है।’

आंकड़ों के अनुसार 88.4 करोड़ लोगों को फिलहाल स्वच्छ पेय जल नहीं मिलता
और 2.6 अरब से अधिक को बुनियादी साफ-सफाई नसीब नहीं होती। हर साल करीब 15
लाख बच्चे पानी और गंदगी से होने वाली बीमारियों से मर जाते हैं।

प्रस्ताव में सदस्य राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से यह आह्वान
भी किया गया है कि गरीब देशों के हर नागरिक के लिए स्वच्छ और किफायती पेय
जल के प्रयासों में मदद के लिहाज से उनको आर्थिक सहायता प्रदान करें।

अनेक विकासशील देशों ने प्रस्ताव के लिए मतदान किया लेकिन कई विकसित
देश इस आधार पर मतदान से नदारद रहे कि प्रस्ताव में यह स्पष्ट नहीं है कि
सहायता देने की वचनबद्धता किस तरह की होगी।

चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और ब्राजील जैसे देशों ने प्रस्ताव का
समर्थन किया, जिसका कोई वैधानिक महत्व तो नहीं है लेकिन महासभा के किसी भी
प्रस्ताव का सांकेतिक और नैतिक महत्व होता है।

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