मातृत्व सुख में आड़े नहीं आएगी गरीबी

शिमला। मां बनने के सुख के रास्ते में गरीबी कोई रोड़ा नहीं रहेगी।
हिमाचल में गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संस्थानों में निशुल्क प्रसव की
सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। यदि किसी महिला को बड़े अस्पताल में रेफर करने
की जरूरत पड़ती है तो उसका खर्च भी सरकार ही उठाएगी। इसके लिए विशेष तौर पर
एंबुलेंस मुहैया करवाई जाएगी। यही नहीं, अस्पताल से डिस्चार्ज के दौरान भी
उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। हिमाचल में यह योजना 15 अगस्त से शुरू
करने का प्रस्ताव है।

पहले चरण में हिमाचल में लगभग 96 स्वास्थ्य संस्थानों में राउंड दि
क्लाक उक्त सुविधाएं दी जाएंगी। बाद में अप्रैल 2011 तक इन सुविधाओं वाले
स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या बढ़ाकर दो सौ कर दी जाएगी। यह संपूर्ण
अभियान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित होगा।

हिमाचल में ग्रामीण व कस्बाई इलाकों में साधनहीन गर्भवती महिलाओं को
आर्थिक अभाव के कारण कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य
संस्थान तो हैं, लेकिन वहां विशेषज्ञ स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। महिला
रोग विशेषज्ञों की कमी के साथ-साथ प्रशिक्षित स्टाफ भी पर्याप्त नहीं है।
फिर आर्थिक संकट के कारण बहुत सी महिलाएं निजी स्वास्थ्य संस्थानों में
प्रसव नहीं करवा पाती। सरकारी संस्थानों में जिला व जोनल स्तर पर तो
सुविधाएं हैं, लेकिन एमरजेंसी में गर्भवती महिलाओं को राज्य स्तरीय कमला
नेहरू मातृ व शिशु कल्याण अस्पताल रेफर किया जाता है। ऐसे में गरीब लोग
आने-जाने का खर्च नहीं उठा पाते। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने
प्रथम चरण में पूरे प्रदेश में 96 स्वास्थ्य संस्थानों का चयन करने की
योजना बनाई है, जहां गर्भवती महिलाओं को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई
जाएंगी।

योजना और उसकी विशेषता

हिमाचल में हर साल एक लाख से अधिक प्रसव होते हैं। इनमें से अधिकांश
केस अस्पताल में नहीं आते। ऐसे में गर्भवती महिलाओं की जिंदगी दाव पर रहती
है। जन्म के बाद उचित देखभाल न मिलने से कई बार नवजात शिशु भी मौत का शिकार
हो जाते हैं। बहुधा एमरजेंसी में केस बड़े अस्पताल को रेफर किया जाता है,
लेकिन एंबुलेंस की सुविधा न होने से गर्भवती महिला की असमय ही मौत हो जाती
है। इन सब तथ्यों को देखते हुए पूरे प्रदेश में कुछ स्वास्थ्य संस्थान
चिन्हित करने की जरूरत पड़ी, जहां विशेषज्ञ स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई
जा सकें। एमरजेंसी में लोगों के पास धन की भी कमी होती है। गरीब लोग प्रसव
का खर्च नहीं उठा पाते। केस रेफर होने की स्थिति में उनके पास इतना पैसा
नहीं होता कि वे गाड़ी करके गर्भवती महिला को बड़े अस्पताल पहुंचा सकें।
स्वास्थ्य विभाग की इस योजना से ग्रामीण व कस्बाई इलाकों की महिलाओं को
सबसे अधिक राहत मिलेगी। प्रसव के बाद अस्पताल डिस्चार्ज खर्च भी नहीं लेगा।
यही नहीं, महिला व नवजात शिशु को अस्पताल से घर भी पहुंचाया जाएगा और कोई
पैसा भी नहीं लिया जाएगा।

बॉक्स

स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव बिंदल का कहना है कि प्रदेश में कुछ
स्वास्थ्य संस्थानों को राउंड दि क्लाक प्रसव सुविधा के लिए चिन्हित किया
जारहा है। यहां गर्भवती महिलाओं को विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध
करवाई जाएंगी। रेफर केस होने की स्थिति में निशुल्क एंबुलेंस की सुविधा भी
दी जाएगी। इस योजना पर काम चल रहा है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।

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