नई दिल्ली। गरीबों को निजी कंपनियों की नौकरियों में भी कोटा मिल सकता
है। सरकार देश के गरीब तबके को निजी क्षेत्र में पांच फीसदी तक आरक्षण
दिलाना चाहती है। उद्योग विभाग ने इस बारे में सीआईआई, फिक्की और एसोचैम को
पत्र भेजकर उनकी राय मांगी है।
इन तीनों उद्योग संगठनों के साथ सरकार ने अप्रैल, 2010 में इस मुद्दे
पर बैठक की थी। 14 जुलाई को उद्योगों को जारी किया गया यह पत्र इसी बैठक का
नतीजा है।
उद्योग सचिव आरपी. सिंह ने अप्रैल की बैठक में कहा था कि निजी क्षेत्र
की नौकरियों में आरक्षण देने के लिए दबाव दिया जाना संभव नहीं है। लेकिन
जिन क्षेत्रों में उद्योगों को वित्तीय प्रोत्साहन मिल रहा है, वहां समाज
के गरीब तबके को पांच फीसदी तक आरक्षण दिया जा सकता है।
उद्योगों को सरकार की ओर से कई तरह के वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाते
हैं। इनमें निर्यात पर करों में छूट और विशेष क्षेत्रों में आयकर रियायतें
वगैरह शामिल हैं। कंपनियों के शोध एवं विकास बजट में इस तरह की रियायत
मिलती है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों [एसईजेड] और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क
में निर्यात आय पर आयकर छूट मिलती है।
सरकार नौकरियों के आरक्षण के लिए भले ही निजी क्षेत्र पर दबाव नहीं
डाले, लेकिन वह चाहती है कि निजी कंपनियां भी समाज के पिछड़े तबके के लिए
सकारात्मक कदम उठाए। प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] के अधिकारी की अगुवाई
वाला एक उच्चस्तरीय समूह इस मुद्दे पर इंडिया इंक के साथ विचार-विमर्श कर
रहा है। वहीं उद्योग जगत का दावा है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व
समाज के अन्य पिछड़े वर्गो के लिए प्रशिक्षण और रोजगार की पहल कर चुका है।
सीआईआई ने इस बारे में कई रिपोर्टे पेश की हैं, जिनसे पता चलता है कि उसके
कई सदस्यों ने इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं।