नई दिल्ली। माओवादियों द्वारा अप्रैल में दंतेवाड़ा में 76 सीआरपीएफ
कर्मियों की हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा कथित रूप से इस
सिलसिले में पांच निर्दोष जनजातियों को गैर-कानूनी रूप से करीब एक महीने तक
हिरासत में रखने की शिकायत मिलने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
[एनएचआरसी] ने छत्तीसगढ़ पुलिस से इस संबंध में रिपार्ट मांगी है।
आयोग ने पुलिस महानिदेशक को एक नोटिस जारी कर एक महीने के अंदर इस
संबंध में रिपोर्ट सौपनें को कहा है। नोटिस में कहा गया है कि ऐसा नहीं
होने पर आयोग उचित कार्रवाई करेगा।
मानवाधिकार कार्यकर्ता राधाकांत त्रिपाठी की दर्ज शिकायत पर संज्ञान
लेते हुए आयोग ने यह कदम उठाया है। त्रिपाठी ने अपनी शिकायत में कथित तौर
पर आरोप लगाया है कि ओयम हिडमा, कोवासी बद्रा, ओयम गंगा, छुरा जोगा और
पोडियाम हिडमा को सुरक्षा बलों ने अप्रैल की शुरूआत में छत्तीसगढ़ के
विभिन्न स्थानों से पकड़ कर इन्हें गैर-कानूनी रूप से करीब एक महीने तक
हिरासत में रखा और यातनाएं दी।
त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि छह अप्रैल को हुए दंतेवाड़ा नरसंहार से जुड़े
माओवादी कमांडर बर्सा लकमा के साथ इन जनजातियों को गिरफ्तार दिखा दिया गया।
त्रिपाठी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए जनजातियों के अभिभावकों द्वारा
इन्हें रिहा कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देने के बावजूद इन्हें कुछ
भी हासिल नहीं हुआ।
आयोग द्वारा इस मामले में हस्तक्षेप की मांग के साथ त्रिपाठी ने इन
निर्दोष जनजातियों की रिहाई सुनिश्चित करने और इनके बीच विश्वास बहाली की
मांग की है। दरअसल, सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच के संघर्ष में इन
जनतातीय लोगों की स्थिति काफी नाजुक हो गई है।