नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सोमवार को कहा कि प्राइवेट
एजेंसियों के जरिए लागू होने वाली सरकार की प्रमुख योजनाओं में जवाबदेही के
स्तर पर गंभीर कमियां है और यह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] द्वारा
प्रस्तावित नए आडिट विधेयक के लिए बड़ी चुनौती है।
विधायिका और आडिट को लेकर हुए एक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते
हुए मीरा कुमार ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही अच्छे शासन के प्रेरक
हैं। कार्यान्वयन एजेंसियों के जवाबदेही ढांचे में गंभीर अंतर हैं और इन
एजेंसियों की कैग द्वारा आडिट का दायरा भी सीमित है।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, रक्षा, शिक्षा, साफ सफाई और रोजगार को लेकर
सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के लिए आवंटन बढ़ा है। इनमें से अधिकांश
कार्यक्रमों का कार्यान्वयन पंचायत और स्थानीय निकाय करते हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अपनाए जा रहे सार्वजनिक-निजी भागीदारी
माडेल का जिक्र करते हुए मीरा कुमार ने कहा कि सरकार के लिए यह सुनिश्चित
करना जरूरी है कि ऐसी किसी भी व्यवस्था के तहत दी जा रही सेवाएं निर्धारित
समय के भीतर लाभार्थियों तक पहुंचे। उनकी गुणवत्ता भी अच्छी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ठेके देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और
प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह बात भी महत्वपूर्ण है कि
अनावश्यक दावों को निपटाने में राजकोष का दुरूपयोग न होने पाए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों पर कैग, सार्वजनिक उपक्रम
समिति और लोक लेखा समिति जैसी इकाइयों की नजर रहती है। इससे लाभार्थी के
हित सुरक्षित होंगे।