नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। समाज के वंचितों को पढ़ाई व नौकरी में
समुचित मौका देने के लिए कांग्रेस ने 2009 के अपनी चुनावी घोषणा पत्र में
समान अवसर आयोग बनाने का एलान तो कर दिया, लेकिन उसे लेकर सरकार के भीतर
शुरू खींचतान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। आलम यह है कि इस पर गठित
मंत्रियों का समूह भी उलझकर रह गया है। दूसरी तरफ, संबंधित मंत्रालय अपने
रुख में नरमी लाने को ही नहीं तैयार हैं। लिहाजा इस मसले पर बात आगे नहीं
बढ़ पा रही है।
सूत्रों के मुताबिक इस आयोग के लिए रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अगुवाई
में गठित मंत्री समूह के सदस्य ही उलझ गए हैं। वह भी तब, जब लगभग दर्जन भर
मंत्रियों वाले इस समूह में रेल मंत्री ममता बनर्जी को छोड़ बाकी मंत्री
कांग्रेस पार्टी से ही हैं। बताते हैं कि समूह में शामिल मानव संसाधन विकास
मंत्री कपिल सिब्बल, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक और
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा तो कतई इसके पक्ष में नहीं हैं। सिब्बल और शर्मा
तो चाहते ही नहीं कि जाति, धर्म से ऊपर सभी वर्गो के वंचित समूहों को
नौकरियों व शिक्षा के लिए समान अवसर आयोग बने। उनकी मंशा है कि यदि आयोग
बने भी तो उसे सिर्फ अल्पसंख्यकों तक ही सीमित रखा जाए क्योंकि जस्टिस
सच्चर ने इस आयोग की सिफारिश मुसलमानों की शैक्षिक, सामाजिक व आर्थिक
स्थिति में सुधार के मद्देनजर की थी।
सूत्रों की मानें तो मुकुल वासनिक को अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित
जनजाति आयोग के रहते हुए ऐसे किसी आयोग का औचित्य नहीं दिखता। गृह मंत्री
पी. चिदंबरम, पर्यटन और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री कुमारी सैलजा का भी
नजरिया कमोबेश ऐसा ही है। वासनिक व जनजातीय कार्य मंत्री कांति लाल भूरिया
समेत मंत्री समूह के कई अन्य सदस्य तो इस पर भी उलझे हैं कि यह आयोग बने तो
फिर किस मंत्रालय के अधीन हो। सिब्बल और आनंद शर्मा इस आयोग के बनने पर
उसे गृह मंत्रालय के अधीन रखने के पक्ष में हैं।
सूत्र बताते हैं कि यह स्थिति तब है, जब अल्पसंख्यक मामलों के राज्य
मंत्री [स्वतंत्र प्रभार] सलमान खुर्शीद पहले ही साफ कर चुके हैं कि
प्रस्तावित आयोग किसी भी मंत्रालय के अधीन हो, लेकिन वह सभी वर्गो के वंचित
समूहों को नौकरियों व शिक्षा में समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए होना
चाहिए। हालांकि उनकी इस सफाई के बावजूद लगभग दर्जन भर मंत्रियों वाले इस
समूह की पिछली दो बैठकें बेनतीजा रही हैं। फिर भी रक्षा मंत्री एंटनी लगे
हैं कि कोई रास्ता निकल आए। उम्मीद है कि इन स्थितियों के बीच मंत्री समूह
इसी महीने एक बार फिर इस मसले पर माथापच्ची करेगा। गौरतलब है कि मंत्रियों
के इस समूह में कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, श्रम एवं रोजगार मंत्री
मल्लिकार्जुन खरगे, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद और रेल
मंत्री ममता बनर्जी समेत लगभग दर्जन भर मंत्री शामिल हैं। यह अलग बात है कि
ममता ने अभी तक किसी बैठक में शिरकत नहीं की है।