रायपुर. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के भूमि एवं वर्षा जल
प्रबंधन विभाग के बंद होने के बाद से राज्य में वर्षा जल पर पांच साल से
अनुसंधान बंद है। इसके विशेषज्ञों के शोध के बाद खेतों को सिचिंत करने
२००३ में एक लाख डबरी बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस पर काम हुआ लेकिन
बाद में सरकार बदलते ही इस योजना को बंद कर दिया गया।
केन्द्र सरकार
ने हरित क्रांति का असर वर्षा आश्रित राज्यों में नहीं पडऩे पर छह राज्यों
को द्वितीय हरित क्राति के लिए चार सौ करोड़ रूपए दिया है। इनमें
छत्तीसगढ़ भी शामिल है। खेतों में जल संरक्षण के विशेषज्ञों का कहना है कि
सरकार को इसके लिए गंभीरता से काम करना चाहिए।
कृषि विश्वविद्यालय के
भूमि एवं जल संरक्षण विभाग ने १९९० से पन्द्रह साल तक ड़बरी निर्माण पर
महासमुन्द्र के बाग बहरा, तिल्दा, अहिरवारा के अलावा पिथौरा, मैनपुर,
देवभोग, बसना ब्लाकों में काम हुआ था। १९९८ में महासमुद्र में जलग्रहण
प्रबंध मिशन सहित कई राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाओं ने काम किया। असिचिंत
खेतों के लिए ड़बरी और तालाबों को सिचाई के दूसरे साधनों से महत्वपूर्ण
माना गया। जलग्रहण मिशन ने कुआं व ड़बरी बनाना शुरू किया।
राज्य में भूमि और वर्षा जल पर काम करने की जवाबदारी
सरकार की है। वर्षा जल पर काम किया जायेगा। कृषि विश्वविद्यालय ने भूमि
एवं वर्षा जल प्रबंधन विभाग को बंद किया है। वे इससे सहमत नहीं है।
प्रबंधन विभाग के बंद होने के बाद से राज्य में वर्षा जल पर पांच साल से
अनुसंधान बंद है। इसके विशेषज्ञों के शोध के बाद खेतों को सिचिंत करने
२००३ में एक लाख डबरी बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस पर काम हुआ लेकिन
बाद में सरकार बदलते ही इस योजना को बंद कर दिया गया।
केन्द्र सरकार
ने हरित क्रांति का असर वर्षा आश्रित राज्यों में नहीं पडऩे पर छह राज्यों
को द्वितीय हरित क्राति के लिए चार सौ करोड़ रूपए दिया है। इनमें
छत्तीसगढ़ भी शामिल है। खेतों में जल संरक्षण के विशेषज्ञों का कहना है कि
सरकार को इसके लिए गंभीरता से काम करना चाहिए।
कृषि विश्वविद्यालय के
भूमि एवं जल संरक्षण विभाग ने १९९० से पन्द्रह साल तक ड़बरी निर्माण पर
महासमुन्द्र के बाग बहरा, तिल्दा, अहिरवारा के अलावा पिथौरा, मैनपुर,
देवभोग, बसना ब्लाकों में काम हुआ था। १९९८ में महासमुद्र में जलग्रहण
प्रबंध मिशन सहित कई राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाओं ने काम किया। असिचिंत
खेतों के लिए ड़बरी और तालाबों को सिचाई के दूसरे साधनों से महत्वपूर्ण
माना गया। जलग्रहण मिशन ने कुआं व ड़बरी बनाना शुरू किया।
इनका
कहना है:
राज्य में भूमि और वर्षा जल पर काम करने की जवाबदारी
सरकार की है। वर्षा जल पर काम किया जायेगा। कृषि विश्वविद्यालय ने भूमि
एवं वर्षा जल प्रबंधन विभाग को बंद किया है। वे इससे सहमत नहीं है।
चंद्रशेखर साहू
कृषि मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन
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भूमि एवं वर्षा जल प्रबंधन विभाग को चालू करने के लिए फिलहाल कोई काम
नहीं हो रहा है। इसके लिए तो विभाग के प्रभारी रह चुके विशेषज्ञ को काम
करना चाहिए।
के के रात्रे
रजिस्ट्रार, इंदिरा गांधी
कृषि विवि रायपुर