विषरोधी दवा का स्टॉक खाली

जबलपुर. बारिश की शुरुआत में ही सर्पदंश के मामले बढ़ गये हैं पर
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और सामुदायिक चिकित्सालयों में इसकी दवा का
स्टॉक खाली है। स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि विषरोधी एण्टी स्नेक
वेनम सभी अस्पतालों में पहुंचा दिया गया है,लेकिन हकीकत यह है कि गांवों के
अस्पतालों से सर्पदंश पीड़ित निराश लौट रहे हैं।

विक्टोरिया अस्पताल में एक जून से अभी तक तीन मामले सर्पदंश के आये, जिनमें
से किसी को भी गांव में विषरोधी एण्टी स्नेक वेनम नहीं मिल सका। इसी तरह
मेडिकल में अभी तक छह मामले आ चुके हैं, पर इन रोगियों को भी विषरोधी
इंजेक्शन नहीं मिला।

नियम के अनुसार सर्पदंश के इलाज में काम आना वाला वेनम सभी स्वास्थ्य
केन्द्रों में मुफ्त मिलना चाहिए। बारिश के पहले सभी केन्द्रों में इसको
पहुंचा दिया जाना आवश्यक है, पर आज की स्थिति में किसी स्वास्थ्य केन्द्र
में इसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं है।

जिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा वे मरीज भुगतते हैं, जिनकी
जान इस उपयोगी दवा के समय पर मिलने से बच सकती है। सर्पदंश के किसी भी
प्रकरण में एक मरीज को 10-10, यहां तक कि 15 से 20 तक एण्टी स्नेक वेनम
लगाने पड़ते हैं। ज्यादा उपयोग से इसका स्टॉक भी पर्याप्त होना चाहिए, ऐसा
चिकित्सक कहते हैं।

दवा मिले तो भी समस्या

गांव के अस्पतालों में एण्टी स्नेक वेनम यदि पर्याप्त मात्रा में हो भी तो
एक समस्या यह भी है कि इसको लगाने के लिये प्रशिक्षित चिकित्सक और अन्य
स्टाफ गांव में उपलब्ध नहीं है। कई बार उपलब्धता के बाद ट्रेंड व्यक्ति के
होने पर भी इसका स्टॉक खाली बताया जाता है। मेडिकल के सीनियर चिकित्सक इस
समस्या के संबंध में कहते हैं कि इस पर गंभीरतापूर्वक विचार आवश्यक है। यदि
इसका समाधान हो गया तो कई लोगों की जान बच सकती है।

जानकारी ली जायेगी

गांव में सर्पदंश की विषरोधी दवा है या नहीं, इसकी पूरी जानकारी ली जायेगी।
ऐसा हो नहीं सकता कि किसी स्वास्थ्य केन्द्र में यह दवा न हो। कहीं कमी हो
सकती है, लेकिन स्टॉक खाली होना संभव नहीं है।

डॉ. जेएल मिश्रा,ज्वाइंट डायरेक्टर

हैल्थ एकमात्र इलाज

सर्पदंश का एकमात्र इलाज एण्टी स्नेक वेनम ही है। हमने रोगियों के समय पर
पहुंचने पर अभी आधा दर्जन लोगों की जान बचाई है। किसी भी व्यक्ति को सांप
यदि काटे तो दो प्रकार से इफ्ेक्ट होता है। पहला प्रभाव न्यूरो टॉक्सिन
होता है,जिसमें नसों पर असर होता है, दूसरा प्रभाव बेस्कुलो टॉक्सिक होता
है,इसमें खून की नलियों पर असर होता है।

डॉ. अनुपम साहनी, न्यूरोलॉजिस्ट मेडिकल

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