नई दिल्ली. पेट्रोल पदार्थो की कीमत वृद्धि से
नाराज हुई जनता के आक्रोश को कम करने के संभावित उपाय पर सरकार ने विचार
शुरू कर दिया है। पहले चरण में सरकार के इस नरम रुख का लाभ किसानों को मिल
सकता है।
सरकार गांव के किसानों के लिए
डीजल की दर कम करने पर विचार कर रही है। हालांकि इसमें सबसे बड़ी बाधा
किसान की पहचान बन रही है। सरकार के पास ऐसा कोई तंत्र नहीं है जिससे आम
नागरिकों और किसान में अंतर स्पष्ट किया जा सके। इसके लिए सरकार किसी तरह
की विधि तलाश करने में जुट गई है, जिससे किसानों को सस्ते डीजल का तोहफा
दिया जा सके।
पेट्रोलियम राज्यमंत्री
जितिन प्रसाद ने इस तरह की कवायद की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार इस दिशा
में सोच रही है। उन्होंने माना कि पहचान एक बड़ी समस्या है।
जितिन प्रसाद ने कहा, ‘देश में डीजल की 12 प्रतिशत खपत
किसान करते हैं। यूपीए सरकार हमेशा से उनके साथ रही है। यही वजह है कि
सरकार किसानों के लिए ऋण माफी योजना लाई थी। सरकार का प्रयत्न है कि मूल्य
वृद्धि का असर उन पर न पड़े।
ऐसे में
डीजल के दाम किसानों के लिए कम करने पर मंथन किया जा रहा है।’ प्रसाद ने
कहा कि उनका मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है। जल्द ही कोई राह निकाली
जाएगी क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसानों के लिए कोई विशेष योजना लाई
जा रही हो। इससे पहले बाढ़ के दौरान कृषि मंत्रालय ने आधी राशि का भार
उसने स्वयं वहन किया था।