लंदन. विकसित देशों को राहत देते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया
है कि सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशे भारत और चीन हैं। कथित
तौर पर कार्बन का भारी उत्सर्जन करने वाले पश्चिमी देशों की बजाय भारत और
चीन पर यह ठीकरा फोड़ा गया है।
डच की पर्यावरण रिपोर्ट में
कहा गया है कि विकसित देशों की तुलना में इन दोनों देशों के कार्बन
उत्सर्जन को कम करने के सारे प्रयास विफल रहे हैं। नीदरलैंड की एन्वायरमेंट
असेस्मेंट एजेंसी पीबीएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक स्तर पर
कार्बन का उत्सर्जन वर्ष 2009 में स्थिर बना रहा है बावजूद इसके कि पूरी
दुनिया में आर्थिक मंदी छाई हुई थी।
एंजेसी ने पाया कि वर्ष
2006 में चीन का कार्बन उत्सर्जन यूएस की तुलना में ज्यादा था। जिस वजह से
यह दुनिया का सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जक देश बनता जा रहा है। विशेष तौर
पर 2009 में चीन और भारत ही इस मामले में बराबरी रखते हैं।
रिपोर्ट
में कहा गया है कि यूएस को छोड़कर वर्ष 1990 से 2012 तक अन्य सभी देशों को
संयुक्त रूप से 5.2 प्रतिशत तक कार्बन उत्सर्जन को कम करना था। जबकि 1992
के बाद यह पहली बार है जब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन स्थिर रहा है।
ब्रिटिश
पेट्रोलियम, यूएस जिओलॉजिकल सर्वे और इमीशन डाटाबेस फॉर ग्लोबल एटमॉसफेरिक
रिसर्च से प्राप्त आंकड़ों से पीबीएल की रिपोर्ट कहती है कि 2009 में सीओ 2
के उत्सर्जन में कोई वृद्धि नहीं हुई है। दुनिया के अन्य देशों ने जहां 7
फीसदी तक उत्सर्जन कम किया है वहीं चीन और भारत में यह 9 से 6 फीसदी तक
बढ़ा है।
वर्ष 2009 में आई इंटरनेशनल इनर्जी एजेंसी की
रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले 40 वर्षो में पहली बार कार्बन उत्सर्जन
में 2.6 फीसदी की सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है।