नई दिल्ली। संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने यहां खाद्य सुरक्षा विधेयक को अंतिम रूप देने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। सरकार के इस महात्वाकांक्षी विधेयक के तहत खाद्यान्न के ऐसे आवंटन पर चर्चा हुई जिससे कि अत्यंत गरीब और वंचित तबके के लोगों तक खाद्यान्न पहुंचाया जा सके। परिषद की अगली बैठक 14 जुलाई को करने का फैसला किया गया।
बैठक के बाद एनएसी की सदस्य मिरई चटर्जी ने बताया कि अभी खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे पहलुओं पर चर्चा की गई है लेकिन अनाज को गरीबों सहित सभी नागरिकतों को उपलब्ध कराने के लिए वितरण व्यवस्था पर गौर करना भी जरूरी है। इसी मुद्दे पर अगली बैठक में चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अभी देश में करीब 5.5 करोड़ टन गेहूं-चावल उपलब्ध है। हमने पेशकश रखी है कि गेहूं-चावल के साथ ही बाजरा, ज्वार और मक्का जैसे अनाज को भी प्रस्तावित योजना में शामिल किया जाए और इसके लिए वितरण व्यवस्था के स्तर पर पुख्ता तैयारी की जाए।
मिरई ने कहा कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा को लंबे समय के लिए प्रभावी बनाना है। यही कारण है कि इसे अंतिम रूप देने में कुछ समय लगेगा।
सूत्रों के मुताबिक, आज की बैठक में कुछ सदस्यों ने खाद्य सुरक्षा के साथ ही साम्प्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के मुद्दे को भी उठाया और उस पर चर्चा की।
परिषद की ओर से जारी वक्तव्य के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक संबंधी कार्यदल से कहा गया है कि वह सभी संबद्ध पक्षों से बातचीत कर अगली बैठक में अपनी सिफारिशें पेश करें। विधेयक गरीबों को चावल और गेहूं तीन रूपए किलो की दर से उपलब्ध कराने का कानूनी अधिकार देने का प्रावधान करता है। मंत्रियों के एक समूह ने इस बात का समर्थन किया है कि हर परिवार को हर महीने 25 किलो खाद्यान्न मिलना चाहिए।
विधेयक के आलोचक हर व्यस्क को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न के सार्वभौमिक आवंटन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवार योजना के तहत 25 की बजाय 35 किलो खाद्यान्न पाने के हकदार हैं।
एम एस स्वामीनाथन और हर्ष मंदर ने परिषद के समक्ष दिए प्रस्तुतीकरण में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वभौमिक आवंटन की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाकर और अनाज की अधिक खरीद के जरिए खाद्यान्न की सकल उपलब्धता बढाने के लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता भी जताई।
विधेयक पर विचार के लिए बने कार्यदल ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और योजना आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों से प्रस्तावित विधेयक के बारे में विस्तार से चर्चा की। चर्चा के दायरे में विधेयक के तहत अनाज पाने के हकदार लोगों की पात्रता, लक्षित समूह और कार्यान्यवन से जुडे मुद्दे शामिल रहे।
style="font-family: Mangal" class="cont" align="justify"> एनएसी ने कहा कि उसके सदस्यों ने खाद्यान्न के अधिकार से जुडे़ समूह से भी बातचीत की ताकि खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा के लिए काम कर रहे सामाजिक समूहों से जरूरी जानकारी जुटाई जा सके।
इससे पहले, एनएसी-2 की पहली बैठक गत 10 जून को हुई थी। उसमें भी खाद्य सुरक्षा विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा हुई थी और परिषद का 14 सूत्री एजेंडा तैयार किया गया था।