नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। स्वास्थ्य शिक्षा को ले कर जारी विवादों को
देखते हुए अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने नौ जुलाई को राज्यों के साथ बैठक
बुलाई है। इस बैठक में मेडिकल, डेंटल और स्वास्थ्य शिक्षा की दूसरी परिषदों
को भंग कर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानव संसाधन परिषद [एनसीएचआरएच] गठन करने
के प्रस्ताव पर राज्यों के साथ सीधी चर्चा होगी। साथ ही यहां राष्ट्रीय
ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] के क्रियान्वयन जैसे मुद्दे भी उठाए जा
सकेंगे।
स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों के बीच
चर्चा के लिए आयोजित होने वाली केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद
की यह 11वीं बैठक होगी। इस दौरान राज्य अपनी समस्याएं और केंद्र से अपनी
उम्मीदें भी रखेंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान उत्तर प्रदेश की ओर से
गोरखपुर और आस-पास के इलाके में जापानी इंसेफलाइटिस के टीके भेजने में
केंद्र की ओर से लापरवाही का मामला उठाया जाएगा। जबकि केंद्र की ओर से
कोशिश की जाएगी कि राज्य सरकार अपनी जिद छोड़ कर उपलब्ध टीकों का इस्तेमाल
शुरू करे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के लिए सबसे बड़ी चिंता का
विषय राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानव संसाधन परिषद है। पिछले दिनों खुद
प्रधानमंत्री भी यह संकेत दे चुके हैं कि स्वास्थ्य शिक्षा के मूल रूप से
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित किए गए राष्ट्रीय उच्च
शिक्षा व शोध आयोग [एनसीएचईआर] के तहत ही कर दिया जाए। इसके बाद मानव
संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की पहल पर बुलाई गई बैठक में राज्यों के
मानव संसाधन विकास मंत्रियों ने भी मेडिकल एजुकेशन को स्वास्थ्य मंत्रालय
से ले लेने की सिफारिश कर दी।
इस विवादास्पद मुद्दे के अलावा दिन भर चलने वाली इस बैठक के लिए
राज्यों को काफी लंबी कार्यसूची भेजी गई है। इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] और एड्स नियंत्रण कार्यक्रम सहित विभिन्न मुद्दे
भी प्रमुखता से शामिल किए गए हैं। राज्यों से यह अनुरोध भी किया जाएगा कि
वे अपने यहां स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का
अलग से विभाग बनाएं और अपने स्वास्थ्य बजट का कम से कम दस फीसदी पारंपरिक
पद्धतियों के विकास पर खर्च करें।