नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र
लिख कर आम, पपीते और दूसरे फलों को पकाने के लिए एसिटलीन [कार्बाइड] तथा
एथिलीन जैसी गैसों और एथिफोन सोल्यूशन जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल
करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने को कहा है। केंद्र ने ऐसे मामलों में
सुस्ती के लिए जहां राज्य सरकारों को फटकारा है, वहीं गोदामों और दुकानों
में ऐसे रसायनों के इस्तेमाल का पता लगाने की पूरी विधि भी बताई है। इस
मामले पर स्वास्थ्य महकमे के हरकत में आने की वजह स्वास्थ्य राज्य मंत्री
दिनेश त्रिवेदी की ओर से अपने ही मंत्रालय के अधिकारियों को लिखी नाराजगी
भरी चिट्ठी है, जिसमें उन्होंने इस मामले पर तुरंत कुछ करने को कहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक
प्राधिकरण [एफएसएसएआई] की ओर से लिखे गए पत्रों में राज्यों से खाद्य
अपमिश्रण निवारण [पीएफए] कानून के नियम 44-एए का हवाला देते हुए कहा है कि
हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल के लिए इतने साफ और सख्त नियम होने के बावजूद
इनके इस्तेमाल में इतनी लापरवाही क्यों की जा रही है। इस सिलसिले में
प्राधिकरण ने पहला पत्र 26 मई को लिखा था, लेकिन इस पर हरकत न होती देख कर 7
जून को एक बार फिर से चिट्ठी लिखी गई। इसमें राज्यों से कहा गया है कि अब
तक कितने लोगों को ऐसे मामलों में पकड़ा गया है, कितनों के खिलाफ मुकदमा
दर्ज हुआ है और कितनों को सजा मिली है, इसका पूरा ब्यौरा दें।
इससे पहले स्वास्थ्य राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने अपने मंत्रालय के
अधिकारियों को चिट्ठी लिख कर इस बारे में सख्ती करने को कहा था। 12 मई को
लिखे अपने पत्र में त्रिवेदी ने कहा है कि खाद्य अपमिश्रण निवारण कानून में
ऐसा करने वालों के खिलाफ एक हजार रुपये के जुर्माने और छह महीने की कैद का
स्पष्ट प्रावधान है। इसके बावजूद हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल कर फलों को
पकाने वाले व्यापारियों और दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई का कोई मामला
दिखाई नहीं देता।