पटना मिट्टी जांच कार्य को रोजगार के अवसर में तब्दील किया
जायेगा। प्रखंड स्तर पर बेरोजगारों को आउटसोर्स कर रखा जायेगा किन्तु
उन्हें आकर्षक पैकेज दिए जाएंगे। सरकार की योजना पांच वषरें में सभी खेत की
मिट्टी की जांच कार्य को पूरा करने की है। योजना के तहत मिट्टी की
आवश्यकता के अनुसार खाद का उपयोग किया जायेगा। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति
को समाप्त होने से बचाया जा सकेगा।
कृषि विभाग के अनुसार मिट्टी जांच प्रयोगशाला व चलंत मिट्टी जांच
प्रयोगशाला कर्मियों का अनुबंध पर नियोजन होगा। इस मद में 67 करोड़ रुपये की
स्वीकृति प्रदान की गयी है। विभाग के अधिकारी के अनुसार बेरोजगारों को
पहले तो किसी प्रकार के रोजगार की जरूरत होती है किन्तु बाद में उनकी ओर से
आन्दोलन का रास्ता अख्तियार किया जाता है। इससे सरकार का उद्देश्य पूरा
नहीं हो पाता है। ऐसी समस्या को टालने के लिए मिट्टी जांच कर्मियों का
नियोजन सेवा प्रदाता के माध्यम से होगा। इस कार्य में राजेन्द्र कृषि
विश्वविद्यालय के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी जांच व जांच के आधार पर किसानों को
प्रशिक्षित करना ज्ञान आधारित प्रसार कार्य है जो अपेक्षाकृत कठिन है। ऐसी
स्थिति में मिट्टी जांच के लिए वार्षिक कैलेंडर के आधार पर प्रतिमाह
प्रशिक्षण होगा। मिट्टी जांच के आधार पर जिला व प्रखंड स्तर पर मिट्टी
स्वास्थ्य नक्शा तैयार किया जायेगा।