प्लेटिनम से चमकेगी बुंदेलखंड की किस्मत

नई दिल्ली [असित अवस्थी]। पानी की कमी और गरीबी के लिए पहचाना जाने
वाला बुंदेलखंड आने वाले समय में दुनिया की बेशकीमती धातु ‘प्लैटिनम’ के
लिए भी जाना जाएगा। बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में प्लैटिनम के भंडार का
पता चला है। यह खोज बुंदेलखंड की किस्मत भी बदल सकती है।

बुंदेलखंड के ललितपुर जिले से 85 किलोमीटर दूर इकोना गांव में इन
धातुओं का पता चला है। उत्तर प्रदेश के खनन विभाग ने इकोना गांव में
प्लैटिनम समूह की कीमती धातुओं- पैलेडियम, इरीडियम तथा ओसमियम को ढूंढ
निकाला है। यहां से मिले प्लैटिनम की तासीर 10.4 ग्राम प्रति टन [एक टन
मिट्टी से प्राप्त होने वाले प्लैटिनम की मात्रा] तक है। जबकि इसकी
गुणवत्ता औसतन 5.5 ग्राम प्रति टन है। देश में इस गुणवत्ता वाला प्लैटिनम
अभी कहीं नहीं मिला है। खास बात यह है कि राज्य के खनन विभाग को बेशकीमती
धातु का खजाना जमीन की सतह पर ही उपलब्ध हो गया।

वैसे उड़ीसा में प्लैटिनम समूह की विभिन्न धातुओं का लगभग 15 टन का
भंडार मौजूद है। इसमें से 54 फीसदी भंडार को निकालने का आकलन होना बाकी है।
बेशकीमती प्लैटिनम का उपयोग जहां आभूषणों में होता है, वहीं पैलेडियम का
उपयोग कीमोथैरेपी में किया जाता है।

दैनिक जागरण से बातचीत में उत्तर प्रदेश के जियोलॉजी व माइनिंग विभाग
में सलाहकार एसए. फारूकी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि बुंदेलखंड
में प्लैटिनम समूह की विभिन्न धातुओं की खोज हुई है। फिलहाल इसके भंडार के
बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

राज्य सरकार को इकोना गांव में 1.5 किलोमीटर लंबे तथा 400-500 मीटर
चौड़े दायरे में प्लैटिनम का भंडार मिला है। खनन विभाग को जमीन से 250 मीटर
नीचे तक प्लैटिनम समूह की विभिन्न धातुओं का पता चला है।

ललितपुर ही नहीं बुंदेलखंड के छह अन्य जिलों हमीरपुर, बांदा, महोबा,
झांसी, चित्रकूट तथा जालौन में भी उत्तर प्रदेश का खनन विभाग सोना, चांदी,
निकेल, क्रोमियम, यूरेनियम, एसबेस्टस, चाइना क्ले आदि के भंडार का पता लगा
रहा है। देश में प्लैटिनम समूह की धातुओं को खोजने के लिए भारतीय
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण [जीएसआई] ने वर्ष 2006-07 व 2007-08 में तमिलनाडु,
कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मेघालय व उड़ीसा के राज्यों से नमूने एकत्र किए
थे। इसमें से महाराष्ट्र में निकेल व क्रोमाइट का पता चला है जबकि
तमिलनाडु में प्लैटिनम समूह की धातुओं का पता चला है।

गौरतलब है कि भारत प्लैटिनम समूह की विभिन्न धातुओं का ब्रिटेन,
पोलैंड, हांगकांग, स्विटजरलैंड तथा बांग्लादेश में निर्यात भी करता है।
वित्त वर्ष 2007-08 में 87 करोड़ रुपये जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष में 63.8
करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।

पांच वर्ष पहले ही जताई गई थी संभावना: इलाहाबाद [जागरण संवाददाता]।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बुंदेलखंड में प्लैटिनम मौजूद
होने की संभावना पांच वर्ष पहले ही जताई थी। विश्वविद्यालय के अर्थ एवं
प्लानेटरी साइंस विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में स्पष्ट संकेत दिए गए थे कि
ललितपुर इलाके में यह धातु पाई जा सकती है। विभाग का इससे संबंधित विस्तृत
अध्ययनवर्ष 2005 में फिनलैंड में आयोजित प्लैटिनम कान्फ्रेंस में
प्रस्तुत किया गया था।

विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.जेके. पति का कहना है कि देश के कई
हिस्सों में प्लैटिनम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यह धातु सोने से भी
अधिक महंगी होती है, लेकिन इसके औद्योगिक प्रयोग की प्रक्रिया लंबी है।
अपने देश में प्लैटिनम सर्वाधिक उड़ीसा और कर्नाटक में पाया जाता है। विश्व
स्तर पर कनाडा एवं दक्षिण अफ्रीका इसके चल क्षेत्र समझे जाते हैं।

सोने से भी ज्यादा कीमती: प्लैटिनम एक बहुमूल्य धातु है। बाजार में
इसकी कीमत सोने से भी अधिक आंकी जाती है। इस समय इसकी कीमत 23 हजार रुपये
प्रति दस ग्राम से अधिक है। जबकि सोना इस समय 19 हजार रुपये प्रति दस ग्राम
के आसपास है।

कहां और कैसे होता है उपयोग: प्लैटिनम का मेल्टिंग प्वाइंट काफी ऊंचा
[1768.3 डिग्री सेल्सियस] होता है। लिहाजा इसे कंप्यूटर सहित महंगे
इलेक्ट्रानिक उत्पाद बनाने में प्रयोग किया जाता है। किसी धातु का मेल्टिंग
प्वाइंट वह तापमान है जिस पर वह गलना शुरू हो जाती है। प्लैटिनम के आभूषण
भी बनते हैं। अपने देश में उपलब्धता कम होने की वजह से इसकी कीमत अधिक है।

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