प्रधान नहीं, अब पंचायत सचिव बनाएंगे राशन कार्ड

शिमला-हिमाचल प्रदेश में अब पंचायत प्रधान राशन कार्ड बनाने के लिए
अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे। लगातार बढ़ते फर्जी कार्डो को
नकेलने के लिए के लिए सरकार अब यह दायित्व पंचायत सचिव को सौंपने जा रही
है। यही नहीं, दूसरे स्थान पर कार्ड दर्ज करवाने के लिए अब पंचायत सचिव की
रिपोर्ट ही मान्य होगी। प्रस्ताव जल्द ही मंत्रिमंडल बैठक में लाया जा रहा
है।

फर्जी कार्डो की संख्या पर अंकुश लगाने के अलावा इस संबंध में पूरी
जवाबदेही पंचायत सचिव की होगी। संबंधित पंचायत में राशन कार्ड से नाम काटने
की शक्तियां भी पंचायत सचिव को देने की तैयारी है। अभी पंचायतों में
प्रधान ही राशन कार्ड बनाने के लिए अधिकृत हैं। अभी तक इस काम के लिए
जिम्मेदार प्रधानों पर नियमों को ताक पर रख कर कार्ड बनाने के आरोप भी लगते
आए हैं। शिमला में कार्डो की जांच के दौरान ये खुलासा हुआ है कि खाता अलग न
होने पर भी संयुक्त परिवार के कई कार्ड बने हैं। विभाग ने ऐसे 150 से
ज्यादा फर्जी कार्ड रद कर दिए हैं, जबकि दो हजार जांचे जा रहे हैं जिनके
फर्जी होने की आशंका है।

खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रमेश धवाला मानते
हैं कि राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड बने हैं जिसे रोकने को
पंचायत सचिव को कार्ड बनाने के लिए अधिकृत किया जाएगा। पंचायत सचिव की
जवाबदेही तय होने से बोगस कार्ड पर अंकुश लगेगा। बकौल धवाला, ‘ राशन
कार्डबनाने में अनियमितताओं के बारे में विभाग को काफी शिकायतें प्राप्त
हुई हैं। इसको देखते हुए ही यह फैसला लिया गया है।’

सब्सिडी पर अधिक बोझ:

फर्जी राशन कार्ड से सब्सिडी पर अधिक बोझ पड़ रहा है। प्रदेश सरकार सस्ते
दाम पर खाद्य तेल, नमक व तीन किस्म की दालें डिपुओं के माध्यम से उपलब्ध
करवा रही है। केंद्र से आवंटित राशन की मात्रा भी अधिक कार्ड बनने से कम पड़
रही है। तीन साल पहले 2007 में योजना शुरू होने के बाद प्रदेश में जनवरी
2010 तक 1,94,976 नए एपीएल कार्ड बने। 2007 में 8,89,334 एपीएल कार्ड धारक
थे, जनवरी 2010 में आंकड़ा 10,84,310 हो गया। यानी इस अवधि में प्रदेश में
प्रति माह औसतन 5416 नए कार्ड बने हैं। अधिकारी मानते है कि प्रति माह इतनी
संख्या में परिवार बढ़ना संभव नहीं है लिहाजा छानबीन कर रहे हैं जिसमें
विभाग सफल भी हुआ है। अब तक सात हजार से अधिक फर्जी कार्ड मामले सामने आए
हैं।

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