रायपुर. प्याज के घटिया बीज सप्लाई करने के मामले में बहुराष्ट्रीय
कंपनी मोनसेंटों पर लगा प्रतिबंध कृषि विभाग ने हटा लिया है। कंपनी ने
पीड़ित किसानों को मुआवजे के रूप में बीज की दोगुनी कीमत दी है और इसके
आधार पर कृषि विभाग को निलंबित किए गए लाइसेंस की बहाली के लिए आवेदन किया
था। लाइसेंसिंग अथारिटी व अपर संचालक एमएस केरकेट्टा ने बताया कि किसानों
ने कंपनी को एनओसी दे दी है। नियमानुसार अब कंपनी को सभी तरह के बीज बिक्री
की अनुमति जारी रहेगी।
मुंबई मुख्यालय से कंपनी की पीआर अधिकारी रश्मि हिरन्द्रन ने दैनिक
भास्कर को बताया कि किसानों से एनओसी मिलने के बाद कृषि विभाग ने लाइसेंस
रिलीज कर दी है। कंपनी के बीज परिवहन, भंडारण और विक्रय से प्रतिबंध हट गया
है। इधर किसानों को कंपनी ने प्याज के बीज की दोगुनी कीमत लौटा दी है। बीज
का रेट 35 सौ रुपए किलो था। किसानों को सात हजार रुपए की दर से मुआवजा
दिया गया। किसानों ने इसके बाद अनापत्ति प्रमाण-पत्र दे दिया।
हालांकि किसानों ने प्रति एकड़ में कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपए के
नुकसान का दावा किया था। लगभग एक दर्जन किसानों ने दो सौ एकड़ में फसल ली
थी, लेकिन इसके 80 फीसदी पौधों में पल्प (फूल) नहीं आए। प्रभावित किसान
हितेश वरू का कहना है कि प्रदेश में बीज लाइसेंस के नियम कड़े नहीं हैं।
यदि किसान एनओसी नहीं देते तो कंपनी से उतनी राशि भी मिलने की उम्मीद नहीं
थी। कंपनी ने अपने बचाव में कई प्रावधान बना रखे हैं। कृषि विभाग को
लाइसेंस जारी करते समय इसका ध्यान रखना चाहिए। बीज अनुसंधान और विक्रय के
प्रावधान को कड़ा करने की जरूरत है।
गोभी प्रकरण बाकी
कृषि विभाग ने केवल प्याज के मामले में परीक्षण रिपोर्ट मांगी है। दुर्ग
जिले के ही गोभी बीज खराब होने के मामले में अभी कार्रवाई नहीं हुई है।
सूत्रों का कहना है कि कंपनी केवल प्याज के बीज का मुआवजा दे रही है। गोभी
बीज के मामले में उसने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
कंपनी ने उद्यानिकी विभाग को गोभी के बीज के स्थानीय वातावरण में ट्रायल
की रिपोर्ट नहीं दी है जबकि इस मामले में विभाग ने कंपनी से तीन महीने
पहले यह रिपोर्ट मांगी थी। विभाग ने गोभी के बीज के मामले से पल्ला झाड़
लिया है। इस मामले पर कृषि विभाग ने कोर्ट जाने की सलाल उद्यानिकी विभाग को
दी है।