जेएंडके में अस्पतालों के लिए 100 करोड़ मंजूर

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
[एनआरएचएम] के तहत पहली बार शहरों में दो बड़े अस्पताल खुलने जा रहे हैं। ये
दोनों अस्पताल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के गृह राज्य
जम्मू-कश्मीर में होंगे। इसके लिए ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 100 करोड़
रुपये की योजना को मंजूरी दे दी गई है। इनमें से एक अस्पताल जम्मू में होगा
तो दूसरा श्रीनगर में।

एनआरएचएम की संचालन समिति ने अपनी बैठक में जम्मू और श्रीनगर में नए
अस्पतालों के लिए राज्य सरकार की ओर से रखे प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
दो-दो सौ बिस्तर वाले ये जच्चा-बच्चा अस्पताल आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से
लैस होंगे। जम्मू में इसके लिए बलोल नाला के पास बड़ी ब्रह्मणा में और
श्रीनगर में बरथाना के पास बेमिना में ये अस्पताल बनाए जाएंगे। इनके
निर्माण का पूरा खर्च केंद्र उठाएगा, जबकि इनके संचालन का खर्च राज्य सरकार
ने उठाने का वादा किया है। स्वास्थ्य मिशन के तहत किसी राज्य में इस तरह
के बड़े अस्पताल बनाने का यह पहला उदाहरण है। इस योजना का मकसद गांवों में
डॉक्टर, नर्स और दाई पहुंचाना और वहीं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध
करवाना है। बड़े सरकारी अस्पताल और शोध संस्थानों के विकास के लिए
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत राज्यों को मदद दी जाती है।

मंजूर योजना के मुताबिक श्रीनगर के अस्पताल में दो आईसीयू, चार
एनआईसीसीयू के अलावा दो सौ बेड होंगे। जम्मू के अस्पताल में मेडिकल के
स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा नर्सिग और पैरामेडिकल के
पाठ्यक्रम भी चलाए जाएंगे। इनके लिए दिए जाने वाले 100 करोड़ रुपये
स्वास्थ्य मिशन के तहत पहले मंजूर की गई राशि के अतिरिक्त होंगे। गौरतलब है
कि जम्मू-कश्मीर को बीते वित्त वर्ष के दौरान एनआरएचएम के तहत कुल 135
करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।

जम्मू और कश्मीर में ये अस्पताल खोलने के पीछे केंद्रीय स्वास्थ्य
मंत्रालय का तर्क है कि इस समय राज्य भर में महिला रोगियों के जटिल मामले
श्रीनगर स्थित राज्य के एकमात्र जच्चा-बच्चा अस्पताल में ही आते हैं। 1978
में स्थापित इस अस्पताल में आधुनिक उपकरणों का अभाव है। इसी तरह जम्मू का
एसएमजीएस अस्पताल भी 1967 का बना हुआ है, जहां आधुनिक सुविधाएं विकसित करना
संभव नहीं। इसलिए नए अस्पताल बनाना ही एकमात्र विकल्प है।

उधर, एनआरएचएम के आंकड़े बताते हैं कि मिशन के 18 हाई फोकस राज्यों में
जम्मू-कश्मीर 54.3 फीसदी संस्थागत प्रसव के साथ दूसरी सबसे अच्छी स्थिति
में है। जबकि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 22 फीसदी और मध्य प्रदेश में सिर्फ 30
फीसदी महिलाएं ही संस्थागत प्रसव करवा पाती हैं। केंद्र सरकार का कहना है
कि जब महिलाएं आगे बढ़कर प्रसव के लिए अस्पताल आ रही हैं तो उनको बेहतर
स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना भी जरूरी हो जाता है।

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