सिकलसेल मरीजों को शुरू होगा मोबाइल क्लीनिक

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सिकलसेल बीमारी से निपटने के लिए मोबाइल
क्लीनिक की शुरुआत की जाएगी।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ में
सिकलसेल मरीजों के उपचार की सुविधा के लिए सिकल सेल मोबाइल क्लीनिक का
शुभारंभ किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री रमन सिंह विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस के अवसर पर आगामी
शनिवार 19 जून को यहां के डाक्टर भीमराव अम्बेडकर अस्पताल परिसर में सिकल
सेल मोबाइल क्लीनिक का शुभारंभ करेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य शासन की आर्थिक मदद से राजधानी रायपुर के
शासकीय पंडित जवाहरलाल नेहरू शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के जैव-रसायन
विभाग द्वारा सिकल सेल स्क्रीनिंग प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसी
प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल क्लीनिक की शुरूआत की जा रही है।

बायोकेमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर पी.के. पात्रा ने बताया
कि इस मोबाइल क्लीनिक के माध्यम से सिकल सेल रोगियों की जांच और उपचार किया
जाएगा। मोबाइल क्लीनिक में एक डाक्टर, एक काउंसलर और तकनीशियन रहेंगे।
मोबाइल क्लीनिक में ब्लड प्रेशर जांच के उपकरण, स्टेथोस्कोप, थर्मामीटर,
वजन मापक मशीन, ऑक्सीजन सिलेण्डर, जीवन रक्षक दवाईयां और सिकल सेल रोगियों
के इलाज की फोलिक एसीड गोलियां उपलब्ध रहेंगी।

पात्रा ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत जिन स्कूलों में बच्चों का
स्क्रीनिंग कार्य किया गया है, उन स्कूलों में मोबाइल क्लीनिक को भेजा
जाएगा। वहां स्थानीय निवासियों और शिक्षकों की सहायता से सिकल सेल पीड़ितों
को बुलाकर उनका विस्तृत मेडिकल रिकार्ड तैयार किया जाएगा और उन्हें इस
बीमारी के रोकथाम के संबंध में सलाह दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर सिकल सेल
मरीजों को बेहतर इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक के पास रेफर किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मोबाइल क्लीनिक में मौजूद डाक्टर और काउंसलर सिकल
सेल मरीज के अभिभावकों को इस रोग से होने वाली शारीरिक कठिनाईयों और उसके
रोकथाम के बारे में सलाह देंगे। आपातकालीन स्थिति में सिकल सेल के मरीज को
मोबाइल क्लीनिक के माध्यम से नजदीकी अस्पताल अथवा रायपुर के डॉ. भीमराव
अम्बेडकर अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।

पात्रा ने बताया कि सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है। यह मरीज को छूने,
खान-पान अथवा किसी प्रकार के अभिशाप से नहीं होती, लेकिन जिसे यह बीमारी
है, उनकी आने वाली पीढ़ी को भी यह बीमारी हो सकती है।

पात्रा ने बताया कि इस बीमारी में दो तरह के व्यक्ति होते हैं, एक सिकल
सेल वाहक और दूसरा रोगी। सिकल सेल वाहक को सिकलिंग से डरने की आवश्यकता
नहीं है। उन्हें किसी तरह की इलाज की भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनमें
सिकलिंग के लक्षण नहीं पाए जाते।

उन्होंने बताया कि सिकल सेल वाहक को दूसरे सिकल सेल वाहक अथवा सिकल सेल
रोगी से विवाह नहीं करना चाहिए। इससे उनकी आने वाली पीढ़ी को सिकल सेल की
बीमारी नहीं होगी। विवाह के समय इसका विशेष ध्यान रखा जाना जरूरी है।

पात्रा ने बताया कि सिकल सेल प्रोजेक्ट के तहत सिकल सेल पीड़ितों की
जांच और पंजीयन किया जाता है। उनका उपचार करने के साथ ही उन्हें सिकल सेल
रोग केकारण होने वाली जटिलताओं के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रोजेक्ट
के तहत रायपुर जिले के सभी विकासखंडों में स्क्रीनिंग का काम पूरा हो गया
है। स्क्रीनिंग में 37 हजार 777 व्यक्ति सिकल सेल पॉजीटिव पाए गए हैं।
इनमें 36 हजार 887 सिकल सेल वाहक और 905 व्यक्ति सिकल सेल के रोगी पाए गए
हैं। स्क्रीनिंग का दूसरा चरण इसी महीने से महासमुंद जिले में शुरू होगा।

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