ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति से चिंतित न हो

नई दिल्ली। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिहं अहलूवालिया ने बुधवार
को कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति की वृद्धि पिछले वर्ष के निम्न आधार की वजह
से है और इससे घबराने वाली जैसी कोई बात नहीं है।

गौरतलब है कि 29 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति
16.74 फीसदी की ऊंचाई पर पहुंच गई। अहलूवालिया ने कहा कि यह संभव है कि जब
गुरुवार को नए आंकडे़ आएंगे तो खाद्य मुद्रास्फीति में कुछ और वृद्धि देखने
को मिल सकती है। इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। कुछ सप्ताह बाद आप
देखेंगे कि खाद्य मुद्रास्फीति कम हो रही है।

उन्होंने ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति का कारण ‘बेस इफेक्ट’ को बताया।
अर्थात पिछले वर्ष इसी अवधि में खाद्य पदार्थो के समूह सूचकांक में या तो
मामूली वृद्धि हुई या फिर उसमें गिरावट दर्ज की गई, जिससे इस साल होने वाली
हल्की वृद्धि भी तुलनात्मक तौर पर ऊंची मुद्रास्फीति के रुप में सामने आ
ही है।

एक अन्य सवाल के जवाब में अहलूवालिया ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों
द्वारा 3जी लाइसेंस और अग्रिम कर भुगतान के कारण अर्थव्यवस्था में नकदी की
संकट से सरकार के उधारी कार्यक्रम पर कोई असर नहीं होगा। वित्तीय घाटे को
पाटने के लिए सरकार की चालू वित्त वर्ष में 4.57 लाख करोड़ रुपये ऋण की
योजना है।

3 जी लाइसेंस के लिए जहां कंपनियों को 67,000 करोड़ रुपये देने हैं वहीं
ब्राडबैंड वायरलेस स्पेक्ट्रम के लिए 38,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना
होगा। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी का संकट होने का अनुमान है। इसके अलावा
कंपनियां चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए अग्रिम कर का भुगतान भी कर
रही है।

अहलूवालिया ने कहा कि राजकोषीय घाटा नियंत्रण में होगा। उन्होंने कहा
कि मुझे लगता है कि मानसून अच्छा रहेगा, इसका असर अर्थव्यवस्था पर होगा और
राजकोषीय घाटा काफी हद तक नियंत्रण में होगा। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय
घाटा 5.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 6.6 फीसदी
रहा था।

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