छह हजार पौधों की बलि लेकर बन रहा शौर्य स्मारक

भोपाल। तीन साल तक जिन पौधों को राजधानी परियोजना प्रशासन ने स्पेशल
पाइप लाइन बिछाकर व टैंकरों की पानी से सींचा, अब उन्हीं छह हजार पौधों की
बलि लेकर शौर्य स्मारक का निर्माण किया जा रहा है।

राजधानी परियोजना प्रशासन की कारगुजारियां किसी से छिपी नहीं है। यहां
सड़क निर्माण व अन्य योजनाओं के नाम पर कितनी राशि बहाई जाती है, उसका
अंदाजा शौर्य स्मारक से भी लगाया जा सकता है। सीपीए द्वारा चिनार पार्क के
समीप व भोपाल हाट के सामने .68 एकड़ भूमि पर हरियाली महोत्सव के अंतर्गत छह
हजार पौधे लगाए गए थे। सीपीए द्वारा पौधों को जीवित रखने के संकल्प के साथ
लाखों रुपए बहाकर बड़ी धूमधाम से आयोजन किए। मंत्रियों व आला अधिकारियों ने
वृक्षारोपण कर अपनी-अपनी पंिट्टकाएं भी लगाई। इन पौधों को सहेजने का संकल्प
भी लिया। पौधों को सींचने के लिए सीपीए ने स्पेशल पाइप लाइन भी बिछा डाली।
गर्मी में टैंकरों से पौधों को सींचा गया। वर्ष 2009 तक पौधों की काफी
देखरेख हुई। पौधे जब तक पेड़ का रुप लेते इससे पहले सीपीए ही इनकी कब्र
खोदने में लग गया। इस भूमि पर लगे पौधों को पहले काटा गया, जो पौधे कुछ
बडे़ हो चुके थे, इनकी पहले पत्तियां निकालकर पूरा सुखा दिया गया। अब
इन्हें वहां से उखाड़ा जा रहा है। छह हजार पौधों की बलि लेने के बाद सीपीए
शौर्य स्मारक का निर्माण कार्य करेगा। शौर्य स्मारक का निर्माण का कार्य
ठेकेदार द्वारा शुरु भी किया जा चुका है। 803 लाख की लागत से बनने वाले
स्मारक के लिए दिनरात युद्ध स्तर पर खुदाई का कार्य चल रहा है। इन पेड़ों की
तो सीपीए ने बलि चढ़ा दी, लेकिन हरियाली का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार व
कोई भी स्वयंसेवी संगठन ने इसके खिलाफ आवाज तक नहीं उठाई।

पहले छह हजार पौधो का रोपण करके उन्हें उखाड़ना हरियाली के साथ खिलवाड़
हैं। दोषपूर्ण नीति बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना
चाहिए।

पंकज चतुर्वेदी, प्रवक्ता जिला कांग्रेस कमेटी

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