भोपाल। गैस पीड़ितों के लिए बने सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों का
प्रयोग जानवरों की तरह किया गया। यहां नई दवाएं उनका प्रभाव जांचने के लिए
इस्तेमाल की गईं और यह सिलसिला लगभग तीन साल तक चला। इस मामले का खुलासा
होने के बाद प्रशासन में हड़कंप की स्थिति है और गैस राहत मंत्री बाबूलाल
गौर ने जांच के आदेश दिए हैं।
गैस काड से जुड़े इसरोंगटे खड़े कर देने वाले सनसनीखेज खुलासे से सभी
हतप्रभ हैं। गौरतलब है कि दैनिक जागरण ने गुरुवार को इस मामले को प्रकाशित
किया था। भोपाल की गैस त्रासदी से पीड़ित मरीजों पर चार साल तक दवाओं का
परीक्षण किया गया। वे भी उन्हें बिना जानकारी दिए हुए। नई ईजाद की गई दवाओं
को गैस पीड़ित मरीजों पर आजमाया गया। एक तरह से उन्हें चूहे और बंदरों की
तरह इस्तेमाल किया गया ताकि पता लगाया जा सके कि इन दवाओं का असर क्या है।
ये सब कुछ हुआ भोपाल मेमोरियल अस्पताल में। वो अस्पताल जो भोपाल गैस
पीड़ितों के लिए स्थापित किया गया था और जिससे देश की सर्वोच्च न्यायालय के
पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ए एम अहमदी जुड़े हुए थे। गैस काड के बाद
भोपाल के लोग पहले ही अपने जख्मों से परेशान थे। वे डॉक्टरों के पास दवा
लेने जाते लेकिन उन्हें पता ही नहीं चलता कि किस्म-किस्म के जो इंजेक्शन या
दवा उन्हें दी जा रही हैं, वे इलाज के लिए नहीं बल्कि परीक्षण के लिए हैं।
साल 2004 से लेकर 2008 तक भोपाल मेमोरियल अस्पताल में इस काले कारनामे को
अंजाम दिया गया। बवाल मचने से पहले ही अस्पताल ने 25 अगस्त 2008 से प्रयोग
बंद कर दिए। अब ये मामला सामने आने के बाद मध्यप्रदेश के गैस राहत मंत्री
बाबूलाल गौर ने जाच के आदेश दिए हैं। सरकार का कहना है कि अगर आरोप सही पाए
गए तो कार्रवाई की जाएगी।