लंदन। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘सर्व शिक्षा अभियान’ में
बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है। 14 साल तक की उम्र के गरीब बच्चों को
मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के नाम पर 480 करोड़ रुपये की बड़ी रकम भ्रष्टाचार
की भेंट चढ़ गई। इस परियोजना के लिए भारत को अरबों रुपये की आर्थिक मदद
देने वाले ब्रिटेन ने धन के दुरुपयोग पर जांच बैठा दी है।
ब्रिटिश सरकार ने भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इस संबंध
में कराई गई जांच के निष्कर्षो पर चिंता जताई है। ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय
विकास राज्य मंत्री एंड्रयू मिचेल ने कहा कि बेहद चौंकाने वाले आरोप हैं।
ब्रिटिश सहायता राशि का दुरुपयोग रोकने के लिए मैंने तत्काल जांच शुरू करा
दी है। नई ब्रिटिश सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
ब्रिटिश मीडिया में इस संबंध में आई खबरों में कहा गया है कि 14 साल तक
के बच्चों को स्कूली शिक्षा मुहैया कराने के लिए ब्रिटेन ने भारत को 34
करोड़ पौंड [करीब 23 अरब 25 करोड़ रुपये] की मदद दी। सर्व शिक्षा अभियान के
आडिट में पता चला कि इस रकम में से सात करोड़ पौंड [करीब 480 करोड़ रुपये]
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
ब्रिटिश अखबार ‘न्यूज आफ द वर्ल्ड ने भारत के महालेखा परीक्षक के
हवाले से खबर दी है कि 1.4 करोड़ पौंड [करीब 96 करोड़ रुपये] तो ऐसे
साजो-सामान की खरीद में खर्च कर दिए गए, जिनका स्कूलों से कोई वास्ता नहीं।
अखबार में कहा गया है कि देश भर में इस मद से अधिकारियों ने नई
गाड़ियां, आलीशान बेड और कंप्यूटर खरीदे। ऊपरी तौर पर दिखाया गया कि बड़ी
राशि स्कूलों पर खर्च की गई जबकि वह रकम एयरकंडीशनर, फैक्स, फोटोकापी और
सात हजार से ज्यादा टीवी सेट खरीदने पर खर्च कर दी गई।
मजे की बात है कि यह सब सामान ऐसे स्कूलों के नाम पर खरीदा गया, जहां
अब तक बिजली नहीं पहुंची है। रिपोर्ट के मुताबिक बिना कोई कारण बताए डेढ़
लाख पौंड [करीब एक करोड़ रुपये] की रकम एक बैंक खाते में डाल दी गई।
इस व्यापक फर्जीवाड़े में आरोपी एक महिला ने 60 लाख पौंड [करीब 41 करोड़
रुपये] की रकम का चूना लगाया। उसने इस रकम में से 44 हजार पौंड [करीब 30
लाख रुपये] अपने बेटे को एक फिल्म बनाने के लिए दे दिए।