नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दुनिया भर में रोजगार के अवसर भले ही बढ़
रहे हों, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी अपने चरम पर है। भारत
दुनिया के कुछ प्रमुख मुल्कों में से एक है जिसने ग्लोबल मंदी के विपरीत
प्रभावों से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर नीति की घोषणा की और कामयाब हुआ।
जेनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 99वें सत्र में भाग ले रहे
श्रम एवं रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत ने आर्थिक संकट
के प्रभावों को कम करने के लिए मौद्रिक नीति में काफी बदलाव किया था। सरकार
ने कम ब्याज दर पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की। इसी के साथ घाटे व ऋण के
स्तर को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए भारत और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
[आईएलओ] ने सहमति बनाई है।
रोजगार पर आईएलओ की रिपोर्ट की प्रशंसा करते हुए खड़गे ने कहा कि भारत
ने मनरेगा के सहारे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किए हैं। इससे
तकरीबन 52 फीसदी महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। अब सरकार राष्ट्रीय रोजगार
नीति बनाने की प्रक्रिया में है।