अब अनिवार्य होगा। यह खाता गर्भधारण के तीन माह बाद खोला जाएगा। प्रसव के
बाद दी जाने वाली राशि का भुगतान इसी खाते के माध्यम से करना होगा।
यह जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर के निदेशक डॉ. एम.एल. जैन
ने सोमवार को किसान भवन में राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक के
दौरान दी। बैठक में संयुक्त निदेशक डॉ. विष्णुदत्त तिवारी, डीप्टी सीएमएचओ
डॉ. पूनम पोसवाल, सभी बीसीएमएचओ तथा बीपीएम मौजूद थे।
डॉ. जैन ने इस योजना की देखरेख का जिम्मा संयुक्त निदेशक डॉ. वीडी तिवारी
को सौंपा है। डॉ. तिवारी अलग अलग जिलों के सीएमएचओ के मार्फत इस योजना को
पूरा करवाएंगे।
डेटा पर लगी क्लास
रिव्यू बैठक में प्रसुताओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के डेटा को लेकर
अधिकारियों की क्लास लग गई। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मातृ तथा शिशु
मृत्यु पर अंकुश लगाने तथा आंकड़े एकत्रित करने के उद्देश्य से राज्य में
प्रसुताओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की योजना शुरू की थी।
उदयपुर जिले में संसाधनों की कमी के चलते यह योजना कुछ खास कारगर साबित
नहीं हुई। रिव्यू बैठक में डॉ. जैन ने अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से
व्यवस्था को सूचारू करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. जैन ने जब ऑनलाइन
प्रसुताओं के डेटा देखे तो काफी कम निकले थे, जिसका जवाब किसी अधिकारी के
पास नहीं था।
नरेगा में हर सप्ताह परीक्षण
डॉ. जैन ने सभी सीएमएचओ, बीसीएचएमओ आदि को पाबंद किया है कि नरेगा कार्य के
दौरान नियमित रूप से मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। नरेगा
मजदूरों का सप्ताह में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश दिए गए हैं।