चंद रुपयों में बिक रहे सपने

पानीपत. पेट की भूख और पैसे की ललक मासूमों का बचपन
निगल रही है। जिले में बाल श्रमिक और ड्राप्ट आउट की संख्या तेजी से बढ़
रही है, लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग बेफिक्र हैं।

सरकार
ऐसे बच्चों को राइट टू एजूकेशन के तहत शिक्षित करने का बल दे रही है,
लेकिन सरकार की यह कोशिश भी बाबूओं की कलम के नीचे दब गई है। सरकार की
योजना की पहुंच से जिले में करीब आठ हजार बच्चे हैं। सरकारी आकड़ों में यह
संख्या कुछ कम है।

स्कूल बैग की बजाय उठा रहे औजार

पानीपत
औद्योगिक इकाई होने से बाल श्रमिकों की संख्या अन्य जिलों की अपेक्षा अधिक
है। एक अनुमान के अनुसार जिले में करीब 42 सौ बाल श्रमिक और 38 सौ बच्चे
आउट ऑफ स्कूल हैं। बढ़ती महंगाई और आसपास का माहोल स्वच्छ न मिलने से बच्चे
पढ़ाई से दूर हट रहे हैं। बच्चों के सामने पढ़ाई करने की बजाय दो समय की
रोटी का जुगाड़ अधिक चिंता बना हुआ है।

ऐसे बच्चे स्कूल बैग
उठाने की बजाय हाथ में औजार या कूड़ा उठा रहे हैं। कई सरकारी, अर्ध सरकारी
कार्यालयों के बाहर लगी चाय की रेहड़ी या दुकान की सर्विस में कम उम्र के
बच्चों को लगाया जा रहा है। योजनाओं को लागू करने वाले अधिकारी इनके हाथों
की चाय की चुस्की लेकर कमर तो थपथपा देते हैं, लेकिन इन बच्चों को शिक्षित
होने की सलाह नहीं देते।

अभियान चढ़ा भेंट

स्कूली
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एसएसए के तहत हर वर्ष अप्रैल माह में जागरुक
अभियान शुरू किया जाता है। स्कूली बच्चे लगातार कई माह अभियान के तहत रेली
निकालते हैं, लेकिन इस साल जिले में एसएसए के तहत रेली तक नहीं निकाली गई।

रेली निकालकर अभिभावक और बच्चों को जागरुक करने की बजाय
मतदाता सूची बनाने और जनगणना में लगे रहे। यह सिलसिल अप्रैल माह से लगातार
चल रहा है। स्कूली अध्यापक जनगणना पूरी करने के बाद मतदाता सूची को ठीक
करने में लगे गए हैं। ऐसे में बच्चों को कौन जागरुक करेगा। इस सवाल का जवाब
अधिकारियों के पास भी नहीं है।

न राशि का पता, न
बच्चों का

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा हर
वर्ष की तरह इस बार भी प्रदेश में बच्चों का शिक्षा देने के लिए करोड़ों
रुपए की ग्रांट पहुंची है, लेकिन जिला स्तर के अधिकारियों को ग्रांट की भनक
तक नहीं है। शिक्षा सत्र के तीन माह बीतने के बाद भी सर्व शिक्षा अभियान
के पास कोई योजना नहीं है। वहीं 2003 में शुरू एआईई (वैकल्पिक नवोचार्य
शिक्षा) सेंटर प्रदेश सरकार ने 31 दिसंबर 2008 को एक झटके में बंद कर दिए।

सबंधित
संस्थाओं को ऐसे बच्चों को मैन स्ट्रीम में दाखिल करवाने के आदेश जारी कर
दिए। संस्थाओं ने अभियान की राशि लेने के लिए बच्चों को मैन स्ट्रीम में
दाखिल करवा दिया।

जिले के स्कूलों मेंबच्चे बैठने तक की
जगह नहीं रही थी, लेकिन एक साल में शहर के हालात वहीं हो गए। इन स्कूलों
में दाखिल करवाए गए बच्चों की कही खबर नहीं है।

प्रशासन
का ड्रामा आज

जिला प्रशासन द्वारा बच्चों को बाल
मजदूरी से दूर रहने का ड्रामे का आयोजन शनिवार को होगा। जिला स्तर का
कार्यक्रम बाल भवन में आयोजित किया जाएगा। प्रात: नौ बजे रेली निकाली
जाएगी। इसके पश्चात बाल भवन भाषण और अन्य प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

दो
वक्त की रोटी कमानी है

महाबीर कालोनी निवासी 12
वर्षीय अंकित रेलवे स्टेशन पर चाय का काम करता है। रेलवे स्टेशन पर आते
जाते स्कूली बच्चों को देखकर पढ़ने का मन करता है, लेकिन वक्त के हाथ में
बंधा होने के चलते मन मसोस कर रह जाता है। रेहड़ी पर चाय बनाकर गुजारा कर
रहे हैं।

टूट गया सपना

14
वर्षीय गुड्डू साइकिल रिपेयरिंग का काम करता है। गुड्डू ने कहा कि एआईई
सेंटर शुरू होने पर पढ़ाई करने का मन बना था, लेकिन सेंटर बंद होने से
शिक्षा प्राप्त करने का सपना टूट गया।

पेट की सोचें
या किताबों की

इंद्रा कालोनी में रहने वाला चंद्र
शेखर हलवाई के पास काम करता है। इसका कहना है कि हलवाई के पास काम की इतनी
अधिकता है कि किताबों के विषय में सोचने का समय ही नहीं मिल पाता। स्कूल
जाने का मन तो करता है पर पेट भी तो भरना है।

कैसे
होगा रोटी का जुगाड़

गली-गली फेरे लगाकर फोल्डिंग
रिपेयरिंग करने वाले सुभाष को भी कम उम्र में किताबों की बजाय औजार हाथ में
उठाने पड़ रहे हैं। सुभाष ने कहा कि पढ़ाई करने को तो मन करता है, लेकिन
रोटी के जुगाड़ में इन सबका समय नहीं मिल पाता।

पेट
तो पालना है बाबू जी!

नतीश जूते पॉलिश करके दो टाइम
की रोटी का जुगाड़ करता है। बाबूजी, बाबूजी कहकर पूरा दिन मेहनत करता है।
पूरा दिन की थकावट के बाद शाम को दो रोटी खाकर बेचिंत होकर सो जाता है।
सुबह उठकर उसी भागदौड़ का हिस्सा बन जाता है।

जिले
में चल रहे हैं 62 स्कूल

केंद्र और प्रदेश
सरकार की हिदायत अनुसार जिले में 62 स्कूल चल रहे हैं। एक स्कूल कृष्णपुरा
में चल रहा है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाई की प्रत्येक वस्तु दी जा रही है।
स्कूल देखने लायक है। बच्चों को पाठ्य सामग्री मुफ्त दी जा रही है। जिला
स्तर पर शनिवार को बाल भवन में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
अशोक
कुमार बिश्नोई
, अतिरिक्त उपायुक्त पानीपत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *