आरटीआई बना दामाद ढूंढ़ने का जरिया

पीलीभीत [प्रसून शुक्ल]। सूचना का अधिकार कानून [आरटीआई] अब भावी
दामाद ढूंढ़ने का जरिया बन गया है। बेटियों के पिता बाकायदा लिखापढ़ी कर
महंगे दूल्हे के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं। जानकारी भी
कैसी-कैसी-मसलन, लड़के ने डाक्टरी में दाखिला कब लिया? कब पासआउट हुआ?
परसेंटेज क्या रही? कहीं वह फर्जी डिग्री धारक तो नहीं.? वगैरह-वगैरह।

मंहगे दूल्हे ढूंढ़ने में आरटीआई के इस्तेमाल का हालिया मामला सामने
आया पीलीभीत के ललित हरि राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में। बेटी के लिए डाक्टर
वर की तलाश में तमाम लोग कालेज से संबंधित लड़के के बारे में पूरी जानकारी
मांग रहे हैं।

कालेज में मुंबई समेत तमाम शहरों से आरटीआई के तहत खत पहुंच रहे हैं,
जिनमें कालेज से पासआउट और वर्तमान छात्रों के बारे में जानकारी मागी गई
है। मुंबई से पाटिल साहब तो गुजरात से एक नाडियादवाला का पत्र कालेज को
मिला है।

नए चलन से कालेज प्रशासन खासा हैरान है। साथ उसके सामने बड़ा सवाल भी है
कि आखिर छात्रों के बारे में व्यक्तिगत सूचनाएं किस आधार पर दी जाएं? इससे
संबंधित व्यक्ति की निजी जिंदगी की गोपनीयता भंग करने का मामला भी बन सकता
है। लिहाजा ऐसे तमाम पत्रों पर कालेज प्रशासन ने फिलहाल गौर नहीं किया है।

अलबत्ता, लगातार बढ़ रहे खतों की संख्या देखते हुए कालेज प्रशासन
कानूनी राय लेने पर भी विचार कर रहे है। इसके पीछे तमाम वजह भी हैं। इनमें
रिश्ता तय करने में बढ़ रहा अविश्वास है तो खुद को झूठे ही हाई-फाई डाक्टर,
इंजीनियर बताकर किसी बड़े घर की बेटी से शादी रचाने का चलन भी। इसीलिए
बीएएमएस या एमडी डाक्टर वर की तलाश में निकले बेटियों के पिता भावी दामाद
के बारे में पूरी तरह मुतमईन होना चाहते हैं।

यह अच्छा संकेत नहीं:

प्राचार्य कालेज के प्रोफेसर भृगुपति पाडे का कहना है कि बेटी की शादी
करने का यह तरीका ठीक नहीं है। ऐसे हम किसी के बारे में गोपनीय जानकारी
कैसे दें। ऐसे आवेदकों को पूरी प्रक्रिया के बारे में लिखित रूप से सूचित
कर दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *