टीकमगढ़. जबलपुर फैमिली कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश पर
अपनी बहू और उसके परिवार को प्रताड़ित करने का मामला दर्ज किया गया है। हाई
कोर्ट की अनापत्ति के बाद यह मामला जतारा थाने में दर्ज कराया गया। आरोप
है कि उन्होंने अपनी बहू के पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। पुलिस ने
इस मामले की पुष्टि कर दी है। इस मामले में प्रधान न्यायाधीश मीना भट्ट,
उनके पति रिटायर्ड एडीजे पुरुषोत्तम भट्ट और पुत्र सिद्धार्थ भट्ट नमजद किए
गए हैं।
पुलिस ने बताया कि पांच जुलाई 2006 को जतारा के
जगन्नाथ शर्मा ने अपनी पुत्री मीनू की शादी मीना-पुरुषोत्तम भट्ट के बेटे
सिद्धार्थ से की थी। शादी के कुछ समय बाद ही ससुराल वालों ने मीनू को दहेज
के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। लंबे समय तक मीनू घुट-घुट कर जीती
रही। लेकिन जब बात हद से बाहर हो गई तो उसने अपने पिता जगन्नाथ शर्मा को
पूरी बात बता दी। घटना सुनने के बाद अप्रैल 2009 में मीनू के पिता जगन्नाथ
शर्मा लड़की की ससुराल गए और मीना-पुरुषोत्तम भट्ट से बात की लेकिन भट्ट
दंपति ने मीनू के पिता श्री शर्मा के साथ अभद्रता की और दहेज नहीं देने पर
केस में फंसा देने की धमकी दी।
ससुराल वालों की धमकी से
परेशान जगन्नाथ शर्मा घर लौट आए और 7 अप्रैल 2009 को आत्महत्या कर ली। इसके
बाद श्री शर्मा के परिजनों ने पुलिस में प्रकरण दर्ज कराने आवेदन दिया था।
लेकिन आरोपी मीना भट्ट और पुरुषोत्तम भट्ट के जज होने के कारण तुरंत मामला
दर्ज नहीं हो सका।
एक साल बाद मिला न्याय
मीनू
शर्मा के चाचा मनोज शर्मा ने बताया कि आत्महत्या के 3 दिन बाद कागजों में
उनके भाई का लिखा सुसाइड नोट मिला था। इसमें उन्होंने आत्महत्या का कारण
पुत्री मीनू की सास, ससुर और पुत्र के द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित करना
बताया था। इस पत्र पर जब भट्ट दंपती ने संदेह जाहिर किया तब हैंड राईटिंग
एक्सपर्ट ने उनके भाई के लेख से मिलान किया और मामला सही पाया गया।
इसके
बाद भट्ट दंपती पर प्रकरण दर्ज करने के लिए पुलिस ने हाईकोर्ट से राय
मांगी। जवाब में हाईकोर्ट ने कहा कि अगर न्यायाधीश दोषी हैं तो प्रकरण दर्ज
किया जा सकता है। हाईकोर्ट के जवाब के बाद जतारा थाना प्रभारी केसी पाली
ने कुटुंब न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश मीना भट्ट, उनके पति रिटायर्ड
एडीजे पुरुषोत्तम भट्ट और पुत्र सिद्धार्थ भट्ट के खिलाफ धारा 306,34 के
तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है।