नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कभी विकास की दौड़ में सबसे अव्वल रहने वाला
पंजाब आज कर्ज के तले बुरी तरह दब गया है। इस समय राज्य पर लगभग 65 हजार
करोड़ रुपये के कर्ज का बोझ है। हालत यह है कि राज्य सरकार को कर्ज का ब्याज
अदा करने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। राज्य की सालाना योजना पर विचार
करते समय योजना आयोग ने इस पर गंभीर चिंता जताई है। आयोग ने साल 2010-11 के
लिए सालाना योजना में पांच फीसदी बढ़ोतरी कर 9150 करोड़ रुपये की वार्षिक
योजना को हरी झंडी दे दी है।
नौ हजार करोड़ रुपये की भारीभरकम सालाना योजना के बाबजूद पंजाब की
वित्तीय हालात अंदर से खस्ता है। पंजाब सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि
उसके ऊपर फिलहाल 64,924 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसे उसे चुकाना है। लेकिन
हालत यह है कि कर्ज चुकाने के बजाय उसे कर्ज का ब्याज देने के लिए कर्ज
लेना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने योजना आयोग को बताया है कि चालू वित्त वर्ष
में उसे 6586 करोड़ रुपये की कर्ज की जरूरत पड़ेगी, जिनमें से 5700 सौ करोड़
रुपये केवल ब्याज चुकाने में चले जाएंगे। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक
सिंह अहलुवालिया ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है और
इसमें सुधार के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल ने इसके लिए अतिरिक्त केंद्रीय मदद की गुहार लगाई है।
योजना आयोग के सामने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब में बड़े
उद्योगों के लगाए जाने की पुरजोर वकालत की। योजना आयोग के सूत्रों की माने
तो पंजाब सरकार चाहती है कि केंद्र बड़ी औद्योगिक परियोजना लगाने में राज्य
की मदद करे। इसके साथ ही बादल ने पश्चिमी फ्रेट कारीडोर को अमृतसर तक बढ़ाए
जाने की मांग की। लेकिन अहलुवालिया ने संकेत दिया कि ऐसा करना संभव नहीं
होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद इसे पहले ही
लुधियाना तक बढ़ाया जा चुका है।
योजना आयोग के साथ बैठक में पंजाब में भूजल के गिरते स्तर का मुद्दा भी
उठा। गौरतलब है कि मोंटेक सिंह अहलुवालिया इसके लिए राज्य की किसानों को
मुफ्त बिजली देने की योजना को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। सूत्रों के अनुसार
बादल ने स्वीकार किया कि यह एक गंभीर समस्या है। लेकिन इसके लिए उपाय
सुझाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर छोड़ दी। बादल ने कहा कि इस मामले पर
विचार करने के लिए केंद्र चाहे तो विशेषज्ञों की समिति बनाकर उपाय खोज सकती
है। राज्य सरकार उन उपायों पर अमल करने की कोशिश करेगी। लेकिन बैठक के
बाहर पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने साफ कहा कि हमने पानी का बेजा
इस्तेमाल नहीं किया है। पानी के इस्तेमाल से हमने जो रिकार्ड अनाज पैदा
किया है, उसका लाभ पूरे देश को मिला है। बादल ने कहा कि इस समस्या से
निपटने के लिए पूरे देश को पंजाब की मदद करनी चाहिए।
पंजाब के लिए मंजूर सालाना योजना में इस बार सबसेअधिक ऊर्जा पर जोर
दिया गया है। कुल सालाना योजाना का 36 फीसदी हिस्सा इसी पर खर्च की जाएगी।
इसके तहत मुख्य तौर पर बिजली लाइनों के आधुनिकीकरण का काम शामिल है। इसके
बाद 26 फीसदी खर्च के साथ सामाजिक क्षेत्र पंजाब की सालाना योजना में दूसरे
स्थान पर है। इसके साथ ही सड़क परिवहन के लिए योजना का 16 फीसदी सुनिश्चित
कर राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि सड़क यातायात में सुधार उसकी
प्राथमिकताओं में शामिल है।