नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बुंदेलखंड के लिए सूखा राहत पैकेज मंजूर
करने के बाद भी इस क्षेत्र को लेकर केंद्र की चिंता कम नहीं हो रही है।
सरकार की सारी उम्मीदें इस पैकेज के अमल पर टिकी हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य
प्रदेश की सरकारें इस पैकेज के अमल को लेकर क्या रणनीति अपनाती हैं, सरकार
इस बात को लेकर अभी भी चिंतित है।
सूत्रों के मुताबिक योजना आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार से इस पैकेज पर
गंभीरता पूर्वक अमल करने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे एक पत्र में योजना आयोग के
उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इस पैकेज के अमल के बारे में राज्य
सरकार से अपनी रणनीति की जानकारी देने को कहा है। शुक्रवार को नई दिल्ली
में राज्य की सालाना योजना के संबंध में होने वाली बैठक में इस बारे में
योजना आयोग राज्य से बुंदेलखंड के संबंध में उसकी नीति के बारे में दरयाफ्त
कर सकता है।
केंद्र ने बुंदेलखंड के विकास को ध्यान में रखते हुए करीब साढ़े आठ
हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। सरकार का मानना है कि इस पैकेज पर अगर
सफलतापूर्वक अमल हो तो इस क्षेत्र के लोगों की जिंदगी बदली जा सकती है।
योजना आयोग भी राज्य सरकार से यही चाहता है कि इस पैकेज के अमल में गंभीरता
बरती जाए।
योजना आयोग ने राज्य में जल संसाधनों के प्रबंधन को लेकर भी चिंता जताई
है। आयोग के मुताबिक राज्य में 162.14 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता है।
लेकिन दसवीं योजना में मध्य प्रदेश सिर्फ 42. 73 लाख हेक्टेयर भूमि की
सिंचाई क्षमता का ही उपयोग कर पाया। यह 72 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से
बेहद कम 26 प्रतिशत रहा। आयोग ने राज्य में भूजल के प्रबंधन की जरूरत पर भी
जोर दिया है। आयोग का मानना है कि राज्य वैज्ञानिकों और किसानों के साथ
मिलकर भूजल के बेहतर प्रबंधन का उपाय कर सकता है। आयोग का सुझाव है कि जल
प्रबंधन के क्षेत्र में सुधार के बाद राज्य सरकार पानी की दरों में भी
वृद्धि कर पाएगी।