जिनके गीतों में है गिरमिटिया की संघर्ष गाथा

गोपालगंज [जासं]। सात समुंदर पार से वर्षो बाद अपने ‘पुरखों’ के देश
में आयीं मरीशस की हुसिला देवी उर्फ प्रतिभा भारत व बिहार की मिट्टी की
सुगंध को नहीं भुला सकी हैं।

गोपालगंज प्रवास के दौरान मारीशस के राष्ट्रपति अनिरुद्ध जगरनाथ की
पत्नी की बहन हुसिला ने कहा कि हालात ऐसे थे कि अपनी मिट्टी और अपना देश
छूट गया, लेकिन मन के कोने में अपनी मातृभाषा की जड़ मजबूती से जमी रही। तभी
तो दशकों पूर्व गिरमिटिया मजदूर बनकर बिहार व उत्तरप्रदेश के लोगों के मन
में रची बसी भोजपुरी बोली आज उनकी मौजूदा पीढ़ी की जुबान पर ही नहीं, बल्कि
मारीशस में भी फल-फूल रही है।

हुसिला देवी भोजपुरी में गाती भी हैं। उनके भोजपुरी गीतों में
गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष की पूरी गाथा है। हुसिला कहती हैं ‘भोजपुरी
हमनी के मां हई, इ भाषा हमनी के आत्मा अउरी रोम-रोम में बस गईल बा’।

उन्होंने अपने पूर्वजों के बारे में बताया कि उनके पूर्वज भी भोजपुरी
इलाके के ही थे। वे कहती हैं कि कोलकाता से जब जहाज छुटल तब हमनी के पूर्वज
लोग के बोलल गईल कि मारीशस में माटी कोड़े और पत्थर उलाटे के बा। एक काम के
बदला में तू लोग के सोना आउर चांदी मिली।

यह पूछने पर कि क्या गिरमिटिया मजदूरों को वहां सोना, चांदी मिली, वे
बरबस ही भोजपुरी में गा उठती हैं- ‘गिरमिटिया के बात जब करीला, अंखवा से
खून चुएला नु हो’। यह पूछने पर अब गिरमिटिया लोगों के वंशजों की दशा क्या
है, बोलती हैं कि हमनी के गर्व बा कि मजदूर पूर्वज काम के आंख पर उठा लेहलन
आउर हमनी के जिंदगी नरक से स्वर्ग हो गईल।

भोजपुरी गीतों के बारे में कहती हैं कि मारिशस में भोजपुरी गीतों में
फुहड़पन व अश्लीलता नहीं है। उन्हें गर्व है कि अपनी वर्तमान और आने वाली
पीढ़ी को गीतों के माध्यम से पूर्वजों के संघर्ष के बारे में जानकारी दे
रहीं हैं।

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