नई दिल्ली। भोपाल गैस त्रासदी पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।
पिछले सोमवार को इस मसले पर अदालत ने जब आरोपियों को सिर्फ दो साल की सजा
सुनाई तो जैसे हर किसी के ज्ञान चक्षु खुल गए। ताजा संदर्भो में यह पुरानी
जानकारी हर किसी तक पहुंची कि गैस कांड का मुकदमा कमजोर कर दिया गया था।
शनिवार को इसी मुद्दे पर देश के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली और सुप्रीम
कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.एम. अहमदी बहस में उलझे नजर आए।
कानून मंत्री मोइली ने बेंगलूर में दिए गए अपने एक बयान में कहा,
‘सीबीआई तो दुनिया की इस सबसे भीषण औद्योगिक त्रासदी की जांच धारा 304-2,
के तहत कर रही थी। इसके तहत आरोपियों को दस साल तक की सजा हो सकती थी।
दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट [उस वक्त मुख्य न्यायाधीश ए.एम.अहमदी थे] ने एक
पुनर्विचार याचिका पर दिए गए अपने फैसले में गैस त्रासदी के आरोपियों पर
लगाई गई धारा को बदलकर 304-ए कर दिया। यह धारा वास्तव कार और ट्रैक्टर से
हुई दुर्घटना के मामले में लगाई जाती है।’
कानून मंत्री के इस आरोप के जवाब में देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश
अहमदी ने कहा, ‘सरकार हमेशा जिम्मेदार होती है।’ उन्होंने कहा, ‘जब इस तरह
की कोई बात देश के लोगों के साथ होती है, क्या सरकार कहती है कि उसकी कोई
जिम्मेदारी नहीं है? मैं इस बात को नहीं समझ पा रहा हूं।’ खुद को किसी
विवाद में न खींचे जाने का आग्रह करते हुए अहमदी ने कहा, ‘हंगामा इसलिए
किया जा रहा है क्योंकि लोग इस मुद्दे को उठाना चाहते हैं।’ गैस त्रासदी के
मुकदमे की सुनवाई कर रही अदालत के फैसले पर न्यायमूर्ति अहमदी ने कहा,
‘मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश ने वही किया, जो उन्हें करना चाहिए
था।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘मैं किसी के साथ किसी तरह की बहस में नहीं
पड़ना चाहता।’