पिथौरागढ़। सुविधाओं से वंचित ग्रामीण
क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने वाली दाईयों के हाल बद से
बदत्तर हैं। सरकारें अपने कर्मचारियों को छठा वेतनमान दे रही है वहीं इन
दाईयों को मात्र चार सौ रुपये प्रतिमाह खैरात के रुप में दिये जाते हैं।
सौ रुपया स्थानीय अस्पताल से मिलता है। पांच सौ रुपयों के लिये दाईयों को
माह में दो तीन बार ब्लाक मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। जिसमें मिलने
वाली धनराशि का एक चौथाई हिस्सा मात्र वाहन व्यय में खर्च हो जाता है।
बीस वर्षो से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वास्थ्य के नाम पर तैनात
एएनएम के साथ दाईयों भी तैनात की गयी। दाईयों का कार्य स्वास्थ्य सुविधा
से वंचित ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराना था। सरकार
द्वारा इनका मानदेय मात्र चार सौ रुपया तय किया गया। बीस वर्षो में जहां
सरकारें अन्य कर्मचारियों के लिये वेतन आयोग बैठाती रही। वहीं दाईयों की
सुध उसे कभी नहीं आयी। लिहाजा बीस वर्षो बाद भी दाईयों को सरकार की तरफ से
मात्र चार सौ रुपया दिया जाता है। सौ रुपया स्थानीय अस्पताल से मिलता है।
कुल पांच सौ रुपये में कार्य कर रही दाईयां अपनी मांगों को कई बार उठा
चुकी हैं। परन्तु सरकारी सरोकारों के रहनुमाओं को इनकी आवाज सुनायी नहीं
देती है।
सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि मात्र पांच सौ रुपये प्राप्त करने के
लिये दाईयों को विकास खंड मुख्यालय आना पड़ता है। जिले के कुछ विकास खंडों
में दाईयों को ब्लाक मुख्यालय तक आने जाने में डेढ़ सौ रुपया व्यय करना
पड़ता है। ऐसी स्थिति में उनको मिलने वाली धनराशि उन्हीं का मुंह चिढ़ा रही
है। इस बीच मातृ , शिशु कल्याण की महिला कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों
को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है। जिसमें दाईयां भी सहभागिता कर रही हैं।
कनालीछीना की दाई कर्मचारी संघ की अध्यक्ष पार्वती देवी का कहना है उनकी
स्थायीकरण और वेतन वृद्धि की मांग आज तक अनसुनी रही है। उसका कहना है कि
आज के दौर में जो धनराशि उन्हें मिलती है उससे घरों के चूल्हे जलने संभव
नही हैं। उन्होंने सरकार से अविलंब दाईयों को स्थायी करते हुए उनका वेतन
सम्मानजनक बनाने की मांग की है।