मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की एक टिप्पणी से बवाल मच गया है। इसे
शिक्षकों और महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताते हुए शिक्षक संगठनों ने
आंदोलन की चेतावनी और मुख्यमंत्री से शिक्षा मंत्री को हटाने की मांग की
है।
शिक्षा मंत्री ने रविवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी के मानविकी सभागार में
शिक्षा अधिकार मंच के कार्यक्रम में समानीकरण का विरोध करने वाले शिक्षकों
(महिलाएं भी मौजूद थीं) को आड़े हाथों लेते हुए कहा ‘‘समानीकरण में मैंने
यह कोशिश की है कि किसी भी शिक्षक को जिले से बाहर नहीं जाने दिया जाए। फिर
भी वे जिले, तहसील में ही नौकरी नहीं करना चाहते। एक भी शिक्षक इसके बाद
भी वहां नहीं जाना चाहता। इसके बाद तो अच्छा तो यही है कि आपको वहीं बीवी
के पास बैठा दूं और वहीं स्कूल खोल दूं। क्या इस तरह करने से शिक्षा का
ढांचा सुधर पाएगा?’’
मुख्यमंत्री से शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग :
शिक्षक
संगठनों ने मुख्यमंत्री से शिक्षामंत्री को तुरंत बर्खास्त करने की मांग
के साथ ही कहा कि अगर उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी उनके
खिलाफ आंदोलन छेड़ा जाएगा। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के
प्रदेश संगठन मंत्री शिव शंकर ओझा का कहना था कि ऐसे शिक्षामंत्री को
मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। अखिल राजस्थान विद्यालय
शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल ने कहा कि शिक्षामंत्री को
अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए था।
उन्होंने अपने पद व शिक्षकों की पद की गरिमा का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा।
उनके बयान से कार्यक्रम में मौजूद शिक्षिकाएं भी शर्मसार हो गईं। राजस्थान
शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन शर्मा ने कहा कि भगवान
शिक्षामंत्री को सद्बुद्धि दे। यह सत्ताधारी दल व मुख्यमंत्री को सोचना
चाहिए कि प्रदेश की शैक्षिक व्यवस्था संभालने वाले ऐसे लोग किस दिशा में
काम करना चाहते हैं। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के
प्रदेशाध्यक्ष महेंद्र सिंह ने शिक्षामंत्री के बयान को शर्मनाक बताया।