पिथौरागढ़। सरकार के तमाम दावों के बावजूद
जनपद की स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नहीं हो पाया है। यहां पर
चिकित्सकों की भारी कमी के चलते अधिकांश मामलों में खुद बीमार पड़े
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर जिला चिकित्सालय तक महज रेफर सेंटर
साबित हो रहे हैं। वर्ष 2006 में स्वीकृत हुये बेस अस्पताल का मामला अभी
भी अधर में है। बेस चिकित्सालय के राजनीति की भेंट चढ़ जाने से बेहतर
स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद पाले जनता में घोर मायूसी है।
जनपद में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर खोले गये अस्पतालों की कोई कमी
नहीं है। जनपद मुख्यालय में 120 शैयाओं युक्त जिला चिकित्सालय, 60 बेड
युक्त महिला चिकित्सालय, 40 शैयाओं वाला टीबी चिकित्सालय, 24 शैयाओं वाला
संक्रामक रोग चिकित्सालय के साथ ही चार शैयाओं युक्त आयुर्वेदिक
चिकित्सालय है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में चार सामुदायिक स्वास्थ्य
केन्द्र, 18 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 32 एलोपैथिक चिकित्सालय, 2
ग्रामीण महिला चिकित्सालय, 52 राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, 3
होम्योपैथिक केन्द्र और 154 उपकेन्द्र स्थापित हैं। परंतु अधिकांश
चिकित्सालयों में चिकित्सक ही नहीं हैं। स्थिति यह है कि पूरे जनपद में इस
समय 110 से भी अधिक एलोपैथिक चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे हैं। जिला
चिकित्सालय में रेडियोलाजिस्ट, हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र सर्जन, मेडिकल
आफिसर सहित तमाम स्वास्थ्य कर्मियों के पद रिक्त पड़े हैं। स्वास्थ्य
सुविधाओं के मामले में जनपद की किस कदर उपेक्षा की गयी है इसका अनुमान इसी
बात से लगाया जा सकता है कि 50 हजार से भी अधिक की आबादी वाले गंगोलीहाट
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के संचालन की जिम्मेदारी एकमात्र चिकित्सक को
सौंपी गयी है। जनपद के स्वास्थ्य केन्द्रों में महिला चिकित्सकों की कमी
कई वर्षो से बनी है। स्वास्थ्य केन्द्रों में अल्ट्रासाउंड और एक्सरे
मशीने भी संचालन के अभाव में धूल फांक रही हैं। पिथौरागढ़ का जिला अस्पताल
और महिला अस्पताल ऐसे केन्द्र हैं जहां पर इस जनपद के अलावा चम्पावत और
पड़ौसी देश नेपाल से भी मरीज उपचार के लिये पहुंचते हैं। परंतु चिकित्सकों
की कमी और अन्य सुविधाओं के अभाव में अधिकांश मरीजों को अन्यत्र रेफर कर
दिया जाता है। इस मामले में पिथौरागढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.एलएस
टोलिया ने भी स्वीकार किया कि चिकित्सकों की भारी कमी के कारण मरीजों को
दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। बताया कि जनपद के स्वास्थ्य केन्द्रों में
चिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया है।
परंतु अभी तक शासन स्तर से कुछ आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक चिकित्सकों के
अलावा एक भी एलोपैथिक चिकित्सक जनपद में नहीं भेजे गये हैं। दूसरी ओर जनपद
को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिये कांग्रेस शासनकाल में वर्ष 2006
में स्वीकृत हुये बेस चिकित्सालय पर अभी तक घोषणाओं का क्रम जारी है। बेस
चिकित्सालय कब और कहां बनेगा यह अभी तक तय नहीं हुआ है। इस मामले में
भाजपा और कांग्रेस जरूर आमने-सामने हैं।