गाजियाबाद [अशोक ओझा], देहरा में रिलायंस पावर प्रोजेक्ट से प्रभावित
किसानों ने यदि मुआवजे की रकम वापस नहीं की तो उन्हे जमीन मिलना मुश्किल
है। कुछ किसान जहां जमीन वापस कर रहे है वहीं कुछ किसान पैसा वापस नहीं
करना चाहते तो 75 फीसदी किसान ऐसे भी हैं जो जमीन तो वापस चाहते है, लेकिन
तब जब समय और मिले तथा साथ ही मुआवजे से खरीदी गई उनकी संपत्ति अच्छे
दामों में बिक जाए। वहीं अपर जिलाधिकारी भू-अध्याप्ति सर्वजीत राम का कहना
है कि प्रशासन उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कार्य कर रहा है। अब
तक मात्र 83 किसान अपना पूरा पैसा वापस कर चुके हैं। इस मामले में रिलायंस
पावर प्रोजेक्ट के अधिकारी चुप्पी साधे है।
बता दें कि उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद रिलायंस पावर प्रोजेक्ट से
प्रभावित किसानों ने जहां पावर प्रोजेक्ट के विरोध में अपनी आपत्तियां
दर्ज करवाई, वहीं दूसरी तरफ मुआवजा वापस कर जमीन प्रशासन से वापस लेने की
कवायद भी शुरू कर दी। फरवरी 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह
यादव ने दादरी के नजदीक धौलाना में अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की रिलायंस
पावर की 7480 मेगावाट गैस आधारित बिजली परियोजना की आधारशिला रखी थी। इस
पावर प्रोजेक्ट के लिए 2500 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का कार्य भी वर्ष 2004
में ही शुरू हो गया था। इस भूमि के लिए 5827 किसानों की भूमि के लिए एक
अरब 46 करोड़ रुपये मुआवजा बांटा गया था।
उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद जनवरी माह से मात्र 83 किसानों ने ही
पूरा मुआवजा चार करोड़ 83 लाख 79 हजार रुपया वापस किया है। इन किसानों की
जमीन वापस करने की कार्रवाई भी प्रशासन कर रहा है। क्षेत्र के लोगों का
कहना है कि जिन किसानों ने मुआवजे का पैसा कहीं न कहीं संपत्तियों में लगा
रखा है उनके पास अब इतना पैसा नहीं है कि वे मुआवजा वापस कर सकें। यदि वे
मुआवजे की रकम से मिली संपत्तियों को बेचना चाहते है तो उसके औने-पौने दाम
मिल रहे है जिस कारण वे बेचने को तैयार नहीं हैं।