गगरेट : हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ का राज्यस्तरीय 24वां वार्षिक
अधिवेशन मंगलवार को गगरेट में हुआ। इसमें शिक्षकों व बेरोजगार प्रशिक्षित
शिक्षकों की समस्याओं पर मंथन किया गया।
महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. यशवंत सिंह राणा ने कहा कि हड़ताली
जेबीटी प्रशिक्षुओं, बाल सेविकाओं, प्रयोगशाला सहायकों और लाइब्रेरी
सहायकों के बांड शीघ्र भरे जाने चाहिए। प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुदृढ़
करने के लिए हर प्राथमिक स्कूल में कम से कम पांच स्थायी शिक्षकों का
प्रबंध किया जाए। इसी माध्यम से 34 हजार प्राथमिक शिक्षकों को प्रति माह
बारह हजार रुपये वेतन देकर चालीस करोड़ रुपये सालाना खर्च किए जाएं ताकि
प्राथमिक शिक्षण संस्थान मजबूत हो सकें। उन्होंने बताया कि महासंघ के साथ
36 संगठन संबद्ध हैं। महासंघ के सदस्यों की संख्या करीब 36 हजार है। वहीं,
सम्मेलन में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व शिक्षा मंत्री डा. राधा रमण शास्त्री
ने भारतीय संस्कृति व वर्तमान शिक्षा में इसके प्रयोग पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि विज्ञान के साथ अध्यात्म को जोड़ कर शिक्षा का स्तर सुदृढ़
किया जा सकता है। अमेरिका जैसे देशों के कई शिक्षण संस्थानों में गीता का
अध्ययन अनिवार्य है जबकि भारत इस क्षेत्र में पिछड़ने लगा है। उन्होंने
इसके लिए वर्तमान राजनीतिक प्रणाली को दोषी ठहराया।
सरकार तक पहुंचाने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा
स्तर को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रदेश में करीब
साढ़े तीन लाख कर्मचारी हैं। हालांकि सरकार ने कर्मचारियों की हर मांग
पूरी की है लेकिन सरकार का दायित्व उन लाखों लोगों को भी देखना है जो
सरकारी नौकरी में नहीं हैं। व्यवस्था केवल सरकार नहीं बदल सकती बल्कि इसके
लिए हर व्यक्ति को सोच बदलनी होगी। इस अवसर पर अधिवेशन के अध्यक्ष
चतुर्भुज मित्तल, महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष डा. विवेक कुमार, पवन
शर्मा, डा. सतीश शर्मा, दीना नाथ, बाल सेविका संघ की प्रधान सुनीता शर्मा,
प्रयोगशाला सहायक संघ के सुभाष हीर, महासंघ की प्रदेश कार्यकारिणी व