जयपुर, जासंकें :राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर राजस्थान भू-राजस्व
नियम 1959 में संशोधन किया है। संशोधन के अनुसार ऐसे कृषक को जिन्होंने
अपने खातेदारी भूमि को समर्पित करके उस पर उद्योग लगाने के लिए लीज पर
आवंटित करा लिया है, वे उस भूमि का पुन: मूल उपयोग करने हेतु रूपान्तरण के
लिए किसी भी समय जिला कलक्टर को आवेदन कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में जिला
कलक्टर भूमि रूपान्तरण का आदेश जारी कर सकेगा और इस रूपान्तरण के बाद भूमि
की स्थिति खातेदारी अधिकार के समर्पण से पूर्व वाली स्थिति हो जाएगी,
लेकिन कृषक द्वारा रूपान्तरण के लिए जमा कराया शुल्क वापस देय नहीं होगा।
ऐसे कृषक जिनकी भूमि मूल उपयोग के लिए रूपान्तरित कर दी गई है अगर वे उस
भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यो के प्रयोजनार्थ करना चाहेंगे तो इसके लिए
सम्बन्धित नियमों के तहत सक्षम अधिकारी को रूपान्तरण के लिए आवेदन करना
होगा। यह नियम राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन) नियम 2010 कहलाएंगे और तुरन्त
प्रभाव से लागू होंगे।
नियम 1959 में संशोधन किया है। संशोधन के अनुसार ऐसे कृषक को जिन्होंने
अपने खातेदारी भूमि को समर्पित करके उस पर उद्योग लगाने के लिए लीज पर
आवंटित करा लिया है, वे उस भूमि का पुन: मूल उपयोग करने हेतु रूपान्तरण के
लिए किसी भी समय जिला कलक्टर को आवेदन कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में जिला
कलक्टर भूमि रूपान्तरण का आदेश जारी कर सकेगा और इस रूपान्तरण के बाद भूमि
की स्थिति खातेदारी अधिकार के समर्पण से पूर्व वाली स्थिति हो जाएगी,
लेकिन कृषक द्वारा रूपान्तरण के लिए जमा कराया शुल्क वापस देय नहीं होगा।
ऐसे कृषक जिनकी भूमि मूल उपयोग के लिए रूपान्तरित कर दी गई है अगर वे उस
भूमि का उपयोग गैर कृषि कार्यो के प्रयोजनार्थ करना चाहेंगे तो इसके लिए
सम्बन्धित नियमों के तहत सक्षम अधिकारी को रूपान्तरण के लिए आवेदन करना
होगा। यह नियम राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन) नियम 2010 कहलाएंगे और तुरन्त
प्रभाव से लागू होंगे।