पटना। लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) भारतीयकृषि अनुसंधान परिषद केसाथ मिलकर सूबे के हाजीपुर और सारण में सामुदायिक आधारित कृषि तकनीक को विकसित करेगा।
कपार्ट के सदस्य सचिव दीपांकर श्रीज्ञान ने बताया कि ग्रामीण विकास
मंत्रालय की ओर से संस्था को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। कपार्ट के
महानिदेशक मो.हलीम खान ने निर्देशित किया है कि कृषि विज्ञान केंद्र,
हाजीपुर की साझेदारी से सब्जी बीज के उत्पादन और विपणन को प्रोत्साहित
किया जाए। कपार्ट की टीम इसी माह हाजीपुर में इसके लिए कार्यशाला आयोजित
करेगी। सारण में भी आलू बीज व अन्य उत्पादन के लिए पहल की जाएगी। इसी
कार्यशाला में उन लोगों का चयन भी किया जाएगा, जिन्हें तकनीकी और आर्थिक
मदद दी जानी है।
हाजीपुर है बड़ा उत्पादक क्षेत्र : बीते साल 20 नवंबर को हाजीपुर में
‘फूलगोभी दिवस’ का आयोजन, किसानों के क्लब और अन्य स्थानीय संगठनों ने
किया था। हाजीपुर, भगवानपुर, लालगंज, राघोपुर, महुआ, वैशाली आदि प्रखंडों
में सब्जी और सब्जी बीज की खूब खेती होती है। बैगन, टमाटर, बंधागोभी,
कद्दू, नेनुआ, साग, करैला आदि की खेती भी होती है और बीज भी तैयार किये
जाते हैं।
तकनीक आधारित है खेती : फूलगोभी की खेती में कई प्रकार के अनुसंधान
हुए हैं। संकर प्रजाति भी विकसित की गयी है। काशी कुंवारी, समर किंग,
पावस, इम्प्रूवड जापानी, स्नोवाल 16, पुसा स्नोवाल आदि अनेक प्रकार की
प्रजाति की यहां खेती होती है। प्लग ट्रे तकनीक का उपयोग भी खेती के लिए
किया जा रहा है।
केले के लिए भी पहल : 1951 में ही हाजीपुर में उत्तर भारत के प्रथम
केला अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई थी। यहीं अब कृषि विज्ञान केंद्र
खोला गया है। कपार्ट की कोशिश है कि स्थानीय उपलब्धता के आधार पर कृषि
विकास का माडल तैयार किया जाए। इसी क्रम में केले के रेशे के उपयोग पर भी
जोर है। इससे खिलौना का माडल विकसित किया गया है।